नई दिल्ली: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत (Bipin Rawat) ने शुक्रवार को पाकिस्तान (Pakistan) और चीन (China) को कड़े शब्दों में जवाब दिया. एक वेबिनार में CDS जनरल रावत ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर हमारा रुख स्पष्ट है, हम इसमें किसी प्रकार का बदलाव स्वीकार नहीं करेंगे. जनरल रावत ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में LAC के पास चीन की हरकतों के बीच स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को लद्दाख में भारतीय सेना की दृढ़ और मजबूत प्रतिक्रिया के कारण अप्रत्याशित परिणामों का सामना करना पड़ रहा है.
जनरल रावत ने कहा कि अगस्त में, चीनी सैनिकों ने उन भारतीय सैनिकों पर हमले की कोशिश थी जो पैंगोंग त्सो झील के पास की ऊंची पहाड़ियों पर मुस्तैद थे. दशकों में पहली बार वहां हवाई गोलीबारी की गई थी. बता दें कि भारत और चीन के बीच गतिरोध जून में तब और बढ़ गया जब गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष में 20 भारतीय जवाब शहीद हो गए थे. Jammu and Kashmir: भारतीय सेना ने इस साल घाटी में रियाज नायकू और सैफुल्ला समेत 200 आतंकियों को किया ढेर.
वास्तविक नियंत्रण रेखा में बदलाव मंजूर नहीं
Our posturing is unambiguous-status quo has to be restored & we'll not accept any shifting of LAC. A full-scale conflict with China is low on probability, but border confrontations & unprovoked tactical military acts spiralling into larger conflict can't be discounted: CDS Rawat pic.twitter.com/Jy8BcGaSkm
— ANI (@ANI) November 6, 2020
CDS जनरल बिपिन रावत ने आगे कहा कि जैसे-जैसे भारत कद में बढ़ता है, सुरक्षा चुनौतियां आनुपातिक रूप से बढ़ेंगी ही. हमें अपनी सैन्य आवश्यकताओं के लिए व्यक्तिगत राष्ट्रों पर प्रतिबंधों या निर्भरता के निरंतर खतरे से बाहर निकलना चाहिए.
पाक पर हमला बोलते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने कहा कि पाकिस्तान ने सशस्त्र इस्लामी विद्रोह और आतंकवाद का केंद्र बना हुआ है. उन्होंने कहा कि- पिछले तीन दशकों से पाकिस्तान की सेना और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई जम्मू-कश्मीर में प्रॉक्सी वॉर छेड़ रखा है.
सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने नेशनल डिफेंस कॉलेज द्वारा आयोजित डायमंड जुबली वेबिनार - 2020 में कहा कि रणनीतिक स्वतंत्रता के लिए हमें दीर्घकालिक स्वदेशी क्षमता के निर्माण में निवेश करना चाहिए.