नई दिल्ली: सीबीआई विवाद में नई एंट्री अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की हुई है. खड़गे ने सीबीआई निदेशक को छुट्टी पर भेजे जाने के केंद्र के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. उन्होंने कहा कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने का केंद्र का कदम गैरकानूनी है, उन्हें इस तरह से नहीं हटाया जा सकता है. मल्लिकार्जुन खड़गे ने सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने के सरकार के फैसले पर सवाल उठाए हैं.
खड़गे ने कहा है कि न तो सीवीसी और न ही सरकार को अधिकार है कि वो सीबीआई डायरेक्टर को हटा सके. कानून के मुताबिक, डायरेक्टर का कार्यकाल दो साल का होता है. खड़गे ने सरकार के फैसले को मनमानी भरा कदम बताया है और इसे गैरकानूनी करार दिया है.
Filed a petition before SC requesting them to quash order of Centre because it's illegal¬ only illegal they should've called meeting of all 3-PM, CJI & me. Without meeting, without committee's consent, they overnight asked him (CBI Dir) to go on leave indefinitely: M Kharge pic.twitter.com/OmOTqUFNsT
— ANI (@ANI) November 3, 2018
खड़गे ने कहा “यह कार्रवाई पूरी तरह से अवैध, मनमाने, दंडित करनेवाले और बिना अधिकारक्षेत्र के की गई है.” खड़गे ने अपनी याचिका में कहा कि सीबीआई चीफ को चुने जाने वाली तीन सदस्यीय समिति में होने के नाते कोर्ट को किसी भी तरह का आदेश देने से पहले उन्हें सुनना चाहिए. खड़गे ने कहा कि सीबीआई को जो समिति चुनती है उसमें प्रधानमंत्री और मुख्य न्यायाधीश के साथ ही, विपक्ष का नेता भी शामिल होता है. यह भी पढ़ें- मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018: बीजेपी को बड़ा झटका, CM शिवराज सिंह के साले संजय सिंह ने थामा कांग्रेस का हाथ
क्या है सीबीआई विवाद
केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई में शीर्ष के दो अधिकारियों की लड़ाई में केंद्र सरकार ने सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेज दिया था. इससे पहले आलोक वर्मा ने अपने जूनियर राकेश अस्थाना से सारी जिम्मेदारियां छीन ली थीं. जब आलोक वर्मा को हटाने का फैसला आया तो विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया कि राकेश अस्थाना पीएम मोदी के प्रिय ऑफिसर रहे हैं और उन्हीं को बचाने के लिए आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेज दिया गया.
गौरतलब है कि राकेश अस्थाना के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल गठित हुई थी, जो मांस निर्यातक मोइन कुरैशी केस की जांच कर रही थी. आरोप है कि इसकी जांच में कुरैशी को बरी करने के लिए अस्थाना ने रिश्वत ली. दूसरी तरफ अस्थाना का आरोप है कि आलोक वर्मा ने इसकी जांच रुकवा दी.