Budget 2019: जानिए कैसे बनता है देश का बजट, इन चीजों पर होता है फोकस
वित्त मंत्री अरुण जेटली अपनी टीम के साथ (Photo: IANS)

Budget 2019: फरवरी की पहली तारिख को वित्त मंत्री सांसद में देश का आम बजट पेश करेंगे. इस साल लोकसभा चुनाव होने है इसलिए इस बार का बजट अंतरिम बजट होगा. वैसे, बजट का इंतजार सभी को होता है. देश के लगभग हर एक व्यक्ति को इसकी एक-एक बात प्रभावित करती है. हर कोई बजट से पहले इसको लेकर चर्चा करता हुआ नजर आता हैं.

हर साल की तरह इस बार भी देश की जनता को वित्त मंत्री से काफी उम्मीदें हैं. वैसे जानकारों की माने तो इस साल आम चुनावों के मद्देनजर वित्त मंत्री बजट में देश के मिडिल क्लास को राहत दे सकते हैं. 2014 में नरेंद्र मोदी को पीएम बनाने में मिडिल क्लास का सबसे बड़ा हाथ रहा है. बजट में क्या होगा और क्या नहीं यह तो वक्त ही बताएगा मगर आज हम आपको बताते हैं कि बजट बनता कैसे हैं.

आम बजट का मतलब:

केंद्र सरकार की ओर से पुरे साल में किए जाने वाले खर्च और होने वाली आय का जो प्लान होता है उसे ‘बजट’ कहा जाता है. ‘बजट’ लैटिन शब्‍द ‘बोजते’ से बना है. बोजते का मतलब होता है ‘चमड़े का थैला.’ काफी सालों पहले पश्चिमी देशों में व्यापारी पैसे चमड़े के थैलों में लाते थे. अभी भी हर वित्त मंत्री चमड़े की बैग में ही बजट के सभी दस्तावेज़ संसद में लाते है. बजट 1 अप्रैल से शुरू होने वाले वितीय वर्ष से लागू होता है. इसे फरवरी के आखरी दिन में पेश किया जाता है.

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ऐसे बनता है बजट:

सितंबर से ही बजट बनाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. सभी विभागों, मंत्रालयों को एक सर्कुलर भेजा जाता है. इस सर्कुलर में उन विभागों से अपने खर्च, विशेष परियोजनाओं का ब्यौरा और फंड की आवश्यता की जानकारी मांगी जाती है. इससे बजट की आगे की राह तय होती है.

पिछड़े क्षेत्र पर ध्यान:

बजट में पिछड़े इलाकों पर फोकस किया जाता है. वहां नई परियोजना में होने वाले खर्च को मद्देनज़र रखते हुए बजट बनाया जाता है. योजनाओं में सत्तारूढ़ पार्टी के राजनीतिक झुकाव और उसके सहयोगी दलों की इच्छाओं के हिसाब से सुधार किया जाता है.

इनकम टैक्स स्लैब:

वित्त मंत्री और उनकी टीम को इनकम टैक्स स्लैब तय करने में सबसे ज़्यादा माथापच्ची करना पड़ती है. आम जनता की नज़र इसी पर सबसे ज़्यादा होती है इसलिए वित्त मंत्रालय पर दबाव भी ज़्यादा होता है.

बजट दस्तावेज़ों की छपाई:

हलवा समारोह बजट से जुड़ी वित्त मंत्रालय की सालों पुरानी परंपरा है, जिसमें हलवा समारोह से बजट के दस्तावेजों की छपाई की प्रक्रिया शुरू होती है.

ऐसे होता है बजट पेश:

आम बजट को संसद में पेश करने से पहले उसे कैबिनेट के समक्ष रखा जाता है. वित्त मंत्री लोकसभा में बजट सुबह 11 बजे पेश करते हैं. बजट पेश होने के बाद उसपर चर्चा होती है. साधारण तौर पर ये चर्चा 2-4 दिन तक चलती है.