AAP's Raghav Chadha Criticises Union Government: भाजपा नेहरूवाद छोड़े, वाजपेयी-आडवाणी का अनुसरण करे- आम आदमी पार्टी
Photo Credits: IANS

नई दिल्ली, 7 अगस्त: आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा ने भाजपा की केंद्र सरकार के दिल्ली सेवा विधेयक की कड़ी आलोचना की उन्होंने बिल को ‘राजनीतिक धोखाधड़ी’ और ‘संवैधानिक पाप’ करार दिया सांसद राघव चड्ढा ने विधेयक को सदन में अब तक प्रस्तुत सबसे अलोकतांत्रिक, असंवैधानिक और अवैध कानून बताया. यह भी पढ़े: AAP's Raghav Chadha On NDA Meeting: राघव चड्ढा ने एनडीए बैठक पर कसा तंज

उन्होंने कहा कि कभी भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी संसद में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग करते थे लेकिन, अब वही भाजपा दिल्ली सरकार के अधिकार कम कर रही है सांसद राघव चड्ढा ने इस बात पर जोर दिया कि 11 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला दिया था कि दिल्ली सरकार में सिविल सेवक मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली निर्वाचित मंत्रिपरिषद के प्रति जवाबदेह हैं.

उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह जवाबदेही सरकार के लोकतांत्रिक और जवाबदेह स्वरूप के लिए आवश्यक है भाजपा को ध्यान दिलाते हुए राघव चड्ढा ने ‘नेहरूवादी’ रुख अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि यह उनके तात्कालिक एजेंडे के अनुकूल है उन्होंने राज्य के लिए अनुभवी नेताओं के ऐतिहासिक संघर्ष का संदर्भ देते हुए भाजपा से दिल्ली के लिए वाजपेयीवादी या आडवाणीवादी दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया.

सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने 2003 में दिल्ली राज्य विधेयक भी पेश किया था घोषणा पत्र और विधेयक की प्रतियां प्रदर्शित करते हुए उन्होंने 1977 से 2015 तक दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने को लेकर भाजपा की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला उन्होंने कहा कि कृपया आडवाणी जी की इच्छा पूरी करें.

महाभारत के ऐतिहासिक युद्ध के बीच समानताएं दर्शाते हुए राघव चड्ढा ने रामधारी दिनकर की प्रसिद्ध पंक्तियों का जिक्र किया- "दो न्याय अगर तो आधा दो, पर इसमें भी यदि बाधा हो, तो दे दो केवल पांच ग्राम, रखो अपनी धरती तमाम हम वहीं खुशी से खायेंगे, परिजन पर असि न उठायेंगे  दुर्याेधन वह भी दे ना सका, आशीष समाज की ले न सका, उलटे हरि को बांधने चला,  जो था असाध्य, साधने चला जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है.

सोमवार को राघव चड्ढा ने कहा कि दिल्ली के अधिकारी दिल्ली की चुनी हुई जनता के प्रतिनिधियों के प्रति जवाबदेय हैं इस सिद्धांत के विपरीत यह बिल दिल्ली की निर्वाचित सरकार से नियंत्रण को अनिर्वाचित एलजी को स्थानांतरित कर इस जवाबदेह संरचना को कमजोर करता है.

उन्होंने आरोप लगाया कि अध्यादेश का उद्देश्य दिल्ली सरकार की शक्ति और लोगों के जनादेश को कम करना है इस दौरान सांसद राघव चड्ढा ने पांच प्रमुख बिंदुओं को रेखांकित किया, जो उनके मुताबिक विधेयक को असंवैधानिक बताते हैं.

उन्होंने कहा कि यह विधेयक अध्यादेश बनाने की शक्तियों का दुरुपयोग है साथ ही यह सुप्रीम कोर्ट के अधिकार को सीधी चुनौती, संघवाद का क्षरण और जवाबदेही की ट्रिपल श्रृंखला को खत्म करता है

उन्होंने तर्क दिया कि विधेयक एक निर्वाचित सरकार से उसके अधिकार छीन लेता है और इसे एलजी के अधीन नौकरशाहों के हाथों में सौंपता है यह विधेयक निर्वाचित अधिकारियों पर अनिर्वाचित अधिकारियों के प्रभुत्व का प्रतीक है.