बिहार के मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) में 'चमकी बुखार' (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) से पीड़ितों की मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. अब तक इस बीमारी से बिहार में 150 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है. वहीं मुजफ्फरपुर में तकरीबन 128 बच्चे मौत की आगोश में समा चुके हैं. SKMCH अस्पताल में अब तक 108 और केजरीवाल अस्पताल में 20 बच्चों की मौत हो गई है.बीमारी के खौफ के कारण पूर्वांचल के जिलों में भी इसके फैलने की आशंका के मद्देनजर बलिया जिले के सभी राजकीय व मंडलीय अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों को एलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं.
बता दें इससे पहले बिहार के स्वास्थ्य विभाग ने गुरुवार को बताया था कि राज्य के 16 जिलों में मस्तिष्क ज्वर से इस महीने की शुरुआत से 600 से अधिक बच्चे प्रभावित हुए हैं जिनमें से 136 की मौत हो गई है. मुजफ्फरपुर जिले में सबसे अधिक अब तक 117 की मौत हुई है. इसके अलावा भागलपुर, पूर्वी चंपारण, वैशाली, सीतामंढी और समस्तीपुर से मौतों के मामले सामने आए हैं.
Bihar: Death toll due to Acute Encephalitis Syndrome (AES) rises to 128 in Muzaffarpur. 108 deaths at SKMCH & 20 deaths at Kejriwal hospital. pic.twitter.com/btswzE3hEg
— ANI (@ANI) June 22, 2019
ज्ञात हो कि प्रत्येक वर्ष इस मौसम में मुजफ्फरपुर क्षेत्र में इस बीमारी का कहर देखने को मिलता है. पिछले वर्ष गर्मी कम रहने के कारण इस बीमारी का प्रभाव कम देखा गया था. इस बीमारी की जांच के लिए दिल्ली से आई नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की टीम तथा पुणे के नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) की टीम भी मुजफ्फरपुर का दौरा कर चुकी है.
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बच्चों को चपेट में लेती है यह बीमारी
बता दें कि पिछले दो दशकों से यह बीमारी मुजफ्फरपुर सहित राज्य के कई इलाकों में होती है, जिसके कारण अब तक कई बच्चे असमय काल के गाल में समा चुके हैं. परंतु अब तक सरकार इस बीमारी से लड़ने के कारगर उपाय नहीं ढूढ़ पाई है. कई चिकित्सक इस बीमारी को 'एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम' बताते हैं. डॉक्टरों के मुताबिक इस बुखार से पीड़ित और मरने वाले सभी बच्चों की उम्र 5 से 10 साल के बीच की है.