बेंगलुरू, 25 अप्रैल: राज्य के क्लेरेंस हाई स्कूल में सभी छात्रों के लिए बाइबिल अनिवार्य करने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. हिंदू संगठनों ने स्कूल का लाइसेंस रद्द करने की मांग की है. श्री राम सेना के संस्थापक प्रमोद मुतालिक ने कहा, हिंदू छात्रों के बीच बाइबल का प्रचार क्यों किया जा रहा है. जबकि स्कूल में 90 फीसदी छात्र हिंदू धर्म से है. उन्होंने मांग की, कि स्कूल को बंद कर दिया जाए और छात्रों को दूसरे स्कूलों में शिफ्ट कराया जाए. नवनीत राणा ने मुंबई पुलिस पर लगाये गंभीर आरोप, स्पीकर ओम बिड़ला को बताया- नीची जाति का कहकर पीने के लिए पानी नहीं दिया, बाथरूम जाने से रोका
हिंदू जन जागृति समिति ने आरोप लगाया है कि छात्रों को अनिवार्य रूप से हर रोज बाइबल पढ़ने के लिए मजबूर किया जाता है. सभी विद्यार्थियों को एक बाइबिल दी गई है जो एक पुस्तिका के रूप में है, उसे प्रतिदिन ले जाने को कहा गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि अगर कोई छात्र आपत्ति करता है तो उसे एडमिशन रद्द करने की धमकी दी जाती है.
We're aware that some people are upset about one of the policies of our school.We're a peace-loving & law-abiding school. We've consulted our advocates on this matter & we'll follow their advice. We won't break law of the land: Jerry George Mathew, Principal, Clarence High School pic.twitter.com/mlOyl50be6
— ANI (@ANI) April 25, 2022
समिति ने आगे आरोप लगाया है कि स्कूल ने संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन और दुरुपयोग किया है. यह कदम सुप्रीम कोर्ट, कर्नाटक शिक्षा अधिनियम और बाल संरक्षण कानूनों के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है. इसलिए स्कूल का लाइसेंस रद्द किया जाना चाहिए.
मामले को लेकर शिक्षा मंत्री ने कहा कि स्कूलों में बाइबिल पढ़ना अनिवार्य करने का कोई प्रावधान नहीं है, अगर यह सच पाया जाता है, तो स्कूल के खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाएगी.
स्कूल के प्रिंसिपल जॉर्ज मैथ्यू ने मीडिया से कहा है कि वह इस घटनाक्रम से दुखी हैं. बाइबल को 100 साल से पढ़ाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अधिवक्ता संस्था के खिलाफ उठाए गए सभी सवालों का जवाब देंगे.