भोपाल: मध्य प्रदेश राज्य लघु वनोपज संघ 22 से 26 दिसंबर तक भोपाल में अंतरराष्ट्रीय वन मेला आयोजित कर रहा है. इसके आयोजन का मुख्य उद्देश्य वनोपज उत्पाद से जुड़े हितग्राहियों को बेहतर बाजार और वनोपज का अधिक से अधिक मूल्य दिलवाना है. इसमें भूटान, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका के विषय विशेषज्ञ आभासी तरीके से भाग लेंगे. यह जानकारी राज्य के वनमंत्री डॉ कुंवर विजय शाह ने दी. यह भी पढ़े: कर्नाटक: CM बी.एस. येदियुरप्पा ने बेंगलुरू अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का आयोजन करने के लिए अनौपचारिक रूप से दी स्वीकृति, फरवरी या मार्च में होगा आयोजन
ऑनलाइन परामर्श
वनमंत्री ने बताया कि आयुर्वेद चिकित्सक इस मेले में शामिल होने वाले नागरिकों को ऑनलाइन परामर्श देने के लिए मौजूद रहेंगे. अंतरराष्ट्रीय वन मेले का शुभारंभ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान करेंगे और समापन 26 दिसंबर को राज्यपाल मंगुभाई पटेल करेंगे. इस बीच सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे। मेले के लिए राजधानी भोपाल के लाल परेड मैदान पर तैयारियां अंतिम चरणों तक पहुंच चुकी हैं। यहां कोरोना से बचाव के सभी उपाय किए जाएंगे। वैक्सीन के दोनों डोज लगने का प्रमाण पत्र देने और शरीर के तापमान की जांच करके ही मेले में प्रवेश दिया जाएगा.
क्रेता-विक्रेता संवाद
कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर (मिटो हाल) में मंत्री डॉ. शाह ने कहा कि 23 दिसंबर को क्रेता-विक्रेता संवाद होगा. मेले में टीकाकरण शिविर भी लगाया जाएगा और आयुर्वेदिक डाक्टरों की सेवाएं ली जाएंगी। डाक्टरों से परामर्श मरीजों को ऑनलाइन और नि:शुल्क दिलाया जाएगा. मेले में प्रदेश की वनोपज समितियां औषधियां लेकर आ रही हैं. देश की प्रसिद्ध आयुर्वेदिक कंपनियां यहां एक साथ आपको दिखाई देंगी. देशभर से विशेष तौर पर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, ओड़िशा, झारखंड, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, अपने हर्बल उत्पाद लेकर आएंगे.
उन्होंने बताया कि लघु वनोपज से स्वास्थ्य सुरक्षा विषय पर दो दिन की कार्यशाला यहां होने जा रही है जिसमें भूटान, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका के विषय विशेषज्ञ वर्चुअल अपने विचार रखेंगे। इसके अलावा यदि स्टाल संचालकों को मुनाफा होता है तब मेले की अवधि को आगे के लिए दो दिनों तक और बढ़ाया जा सकता है.
वन मेले में शुद्ध जड़ी-बूटियां
मध्यप्रदेश राज्य लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक पुष्कर सिंह ने बताया कि मेले का आयोजन प्रदेश से राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय से अंतरराष्ट्रीय स्तर तक विस्तार लघु वनोपजों के वैभव को दर्शाता है. वन मेले में शुद्ध जड़ी-बूटियां मिल जाती हैं, इसलिए लोगों को वन मेले का इंतजार रहता है। दो साल से आयोजन नहीं हो पा रहा था. इस बार कोरोना की गाइड लाइन का पूरी तरह से पालन करते हुए मेले का आयोजन किया जाएगा। कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार मेले में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवाएं लाने के निर्देश दिए गए हैं. इसमें सर्दी-खांसी, बुखार को ठीक करने के लिए घरेलु नुक्खों के साथ ताजी जड़ी बूटियां भी होंगी.
अच्छा बाजार और व्यापार का अवसर
उल्लेखनीय है कि मेले में अकाष्ठीय वनोपज, औषधीय पौधों, वनोपज से जुड़े संग्राहकों, व्यापारियों, उद्यमियों, वैज्ञानिकों, प्रशासकों और नीति निर्धारकों को मंच उपलब्ध कराया जाएगा। वनों से महुआ, अचार गुठली, चिरोंजी, शहद, जड़ी-बूटी आदि संचित करने वाले वनवासियों को शासन की सहायता से एक अच्छा बाजार और व्यापार का अवसर मिल सकेगा.