Bengal School Job Case: ED को आय के हेरफेर के लिए खोली गई फर्जी कंपनियों पर लिखित बयान मिला
Enforcement Directorate Photo Credits: Twitter

कोलकाता, 26 जनवरी : प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) के पास अब कुछ और ठोस सबूत हैं कि कैसे पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी ने अपने विश्वासपात्र प्रमोटरों के माध्यम से अलग-अलग शेल कंपनियां बनाई थीं, जिसका एकमात्र उद्देश्य स्कूल में नौकरी के बदले नकद मामले में विभिन्न माध्यमों से प्राप्त आय के बारेे में ध्यान भटकाना था.

सूत्रों ने कहा कि ऐसे ही एक प्रमोटर ने हाल ही में केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों को एक लिखित बयान सौंपा है कि कैसे वह इन फर्जी कंपनियों को शुरू करने के लिए पूर्व मंत्री और सत्तारूढ़ पार्टी में वस्तुतः दूसरे नंबर के नेता के दबाव में था. चटर्जी, जिन्हें जुलाई 2022 में स्कूल में नौकरी के मामले में ईडी के अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था, वर्तमान में दक्षिण कोलकाता के प्रेसीडेंसी सेंट्रल करेक्शनल होम में न्यायिक हिरासत में हैं. सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी के कानूनी विशेषज्ञों की राय है कि लिखित बयान से एजेंसी के अधिकारियों को पूर्व मंत्री के खिलाफ मामले को और अधिक मजबूत बनाने में मदद मिलेगी. पहले ही ईडी ने चटर्जी को स्कूल नौकरी मामले के पीछे मुख्य मास्टरमाइंड बताया है. यह भी पढ़ें : Republic Day 2024: पूर्व सीएम मांझी ने गणतंत्र दिवस पर ही ‘खेला होने’ के दिए संकेत

पता चला है कि ईडी ने उक्त प्रमोटर को इस सप्ताह एजेंसी के साल्ट लेक कार्यालय में बुलाया था और वह एकीकरण की शुरुआत के बाद से पूरी तरह से सहयोग के मूड में था. सबसे पहले उन्होंने पूछताछ करने वाले अधिकारी को मौखिक रूप से बताया कि उन पर इन फर्जी संस्थाओं को स्थापित करने के लिए पूर्व मंत्री का दबाव था और उन्होंने इस संबंध में एजेंसी के अधिकारियों को एक लिखित बयान भी सौंपा. सूत्रों ने कहा कि प्रमोटर ने शेल संस्थाओं के संचालन के बारे में विस्तार से बताने के अलावा, यह भी बताया कि स्कूल नौकरी मामले की अवैध आय को कोलकाता और उसके आसपास विभिन्न तेजी से बढ़ती रियल एस्टेट परियोजनाओं में कैसे निवेश किया गया था.

एक महीने के भीतर यह दूसरा मामला है जब पार्थ चटर्जी के किसी करीबी ने किसी केंद्रीय एजेंसी को पार्थ चटर्जी के खिलाफ बयान दिया है. इस महीने की शुरुआत में, आयकर विभाग को कुछ विशिष्ट सुराग और सबूत मिले कि कैसे पूर्व राज्य मंत्री ने अपने दामाद कलियान भट्टाचार्य के नाम पर पश्चिम बंगाल के विभिन्न इलाकों में संपत्तियां खरीदीं. भट्टाचार्य ने खुद आयकर अधिकारियों को इस मामले के बारे में विस्तार से बताया, साथ ही अपने बयान से संबंधित कुछ दस्तावेज भी सौंपे.