प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)
नई दिल्ली, 14 जनवरी 2021. बच्चे हमेशा लोगों के चेहरे पर मुस्कान ला देते हैं. माता-पिता अपने बच्चों को देखकर सारी समस्याएं भूल जाते हैं. इसके साथ ही बच्चों को भगवान का रूप भी कहा जाता है. यह अहम बात 20 महीने की बच्ची पर पूरी तरह सटीक बैठती है. इस मासूम बच्ची का नाम धनिष्ठा (Baby Dhanishtha) है. धनिष्ठा राजधानी दिल्ली की रहने वाली थी.
बता दें कि धनिष्ठा ने अपनी जान तो दे दी लेकिन जाते-जाते पांच अलग-अलग लोगों को नई जिंदगी दे दी है. यही कारण है कि उसका नाम सबसे कम उम्र की कैडेवर डोनर में दर्ज हो गया है. दरअसल 20 महीने की यह बच्ची 8 जनवरी को रोहिणी में अपने घर पर खेलते हुए छत से नीचे गिर पड़ी थी.जिसके बाद उसके माता-पिता उसे दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल लेकर गए. इस दौरान डॉक्टरों ने उसे होश में लाने की पूरी कोशिश की लेकिन कोई कामयाबी नहीं मिली. आखिरकार डॉक्टरों ने धनिष्ठा को 11 जनवरी को ब्रेन डेड करार दिया. यह भी पढ़ें-World Blood Donor Day 2020: ब्लड डोनर्स की वजह से आज कई लोग जी रहे हैं सुरक्षित जिंदगी
रिपोर्ट के अनुसार बच्ची का ब्रेन डेड था लेकिन उसके शरीर के अन्य हिस्से सही से काम कर रहे थे. जिसके बाद धनिष्ठा के माता-पिता ने उसके अंगों को दान करने का निर्णय लिया. किसी भी माता-पिता के लिए यह फैसला लेना बहुत कठिन होता है. परिवार की इजाजत के बाद बच्ची के हार्ट, लिवर, दोनों किडनी सहित कॉर्निया को पांच अलग-अलग लोगों को दिया गया. जिससे इन लोगों को नई जिंदगी मिल सकी.
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)
नई दिल्ली, 14 जनवरी 2021. बच्चे हमेशा लोगों के चेहरे पर मुस्कान ला देते हैं. माता-पिता अपने बच्चों को देखकर सारी समस्याएं भूल जाते हैं. इसके साथ ही बच्चों को भगवान का रूप भी कहा जाता है. यह अहम बात 20 महीने की बच्ची पर पूरी तरह सटीक बैठती है. इस मासूम बच्ची का नाम धनिष्ठा (Baby Dhanishtha) है. धनिष्ठा राजधानी दिल्ली की रहने वाली थी.
बता दें कि धनिष्ठा ने अपनी जान तो दे दी लेकिन जाते-जाते पांच अलग-अलग लोगों को नई जिंदगी दे दी है. यही कारण है कि उसका नाम सबसे कम उम्र की कैडेवर डोनर में दर्ज हो गया है. दरअसल 20 महीने की यह बच्ची 8 जनवरी को रोहिणी में अपने घर पर खेलते हुए छत से नीचे गिर पड़ी थी.जिसके बाद उसके माता-पिता उसे दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल लेकर गए. इस दौरान डॉक्टरों ने उसे होश में लाने की पूरी कोशिश की लेकिन कोई कामयाबी नहीं मिली. आखिरकार डॉक्टरों ने धनिष्ठा को 11 जनवरी को ब्रेन डेड करार दिया. यह भी पढ़ें-World Blood Donor Day 2020: ब्लड डोनर्स की वजह से आज कई लोग जी रहे हैं सुरक्षित जिंदगी
रिपोर्ट के अनुसार बच्ची का ब्रेन डेड था लेकिन उसके शरीर के अन्य हिस्से सही से काम कर रहे थे. जिसके बाद धनिष्ठा के माता-पिता ने उसके अंगों को दान करने का निर्णय लिया. किसी भी माता-पिता के लिए यह फैसला लेना बहुत कठिन होता है. परिवार की इजाजत के बाद बच्ची के हार्ट, लिवर, दोनों किडनी सहित कॉर्निया को पांच अलग-अलग लोगों को दिया गया. जिससे इन लोगों को नई जिंदगी मिल सकी.