World Blood Donor Day 2020: ब्लड डोनर्स की वजह से आज कई लोग जी रहे हैं सुरक्षित जिंदगी
विश्व रक्तदाता दिवस (Photo Credits: File image)

जिंदगी बचाने के लिए बार किसी दवा या वैक्सीन की जरूरत नहीं होती, बल्कि रक्त चढ़ा कर जिंदगी बचाई जा सकती है. दुनिया में किसी की भी रक्त यानी ब्लड की कमी से मौत न हो इसलिए ब्लड डोनेशन को बढ़ावा दिया जाता है और प्रत्येक साल 14 जून को वर्ल्ड ब्लड डोनर डे मनाया जाता है. विश्व रक्तदाता दिवस का उद्देश्य लोगों में जागरूकता फैलना है, जिससे लोग आगे आकर रक्त दान करें. वर्ल्ड ब्लड डोनर डे के दिन लोग रक्तदान करते हैं ताकि दुर्घटना पीड़ितों या जिन्हें सर्जरी के लिए ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत हो उनकी जान बचाई जा सके.

14 जून को क्यों मनाया जाता है ब्लड डोनर डे?

मई 2005 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने आधिकारिक तौर पर 58 वें विश्व स्वास्थ्य सभा में अपने 192 सदस्य राज्यों की मौजूदगी में विश्व रक्तदाता दिवस मनाने का फैसला लिया. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए 14 जून को ही विश्व रक्तदाता दिवस के तौर चुना, क्योंकि 1930 में शरीर विज्ञान में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कार्ल लैंडस्टीनर का जन्म हुआ था. कार्ल लैंडस्टीनर ऑस्ट्रियाई जीवविज्ञानी और भौतिकीविद थे. जिन्हें रक्‍त समूह का जनक माना जाता है. सन 1900-1901 के दौरान कार्ल लैंडस्टीनर ने इंसानी खून के एबीओ रक्त समूह और रक्त में मिलने वाले एक अहम तत्व आरएच फैक्टर की खोज की. आज दुनियाभर में इस खोज की वजह से रक्त मिलान कर सुरक्षित ब्लॅड ट्रांसफ्यूजन करके जिंदगी बचाई जाती है.

यह भी पढ़ें- Coronavirus Scare: इस ब्लड ग्रुप वालों को है कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा खतरा, इन्हें थोड़ी राहत

रक्तदाताओं की वजह से कई लोगों की जिंदगी सुरक्षित:

विश्व रक्त दाता दिवस 2020 की थीम है, सेफ ब्लड सेव्स लाइव्स यानी 'सुरक्षि‍त रक्त, बचाए जीवन'. किसी भी प्राकृतिक आपदा में घायल या बीमार, ऑपरेशन, नवजात बच्चे, मातृ या कई ऐसी बीमारी हैं, जब मरीज की जीवन रक्षा के लिए रक्त की जरूरत होती है. सुरक्षित रक्त मुहैया कराने में अभी भी कई देश पीछे हैं. अधिकांश निम्न और मध्यम आय वाले देश सुरक्षित रक्त उपलब्ध कराने के लिए संघर्ष करते हैं, क्योंकि लोग रक्तदान कम करते हैं और रक्त का परीक्षण करने के लिए उपकरण कम होते हैं. वैश्विक स्तर पर, 42% रक्त उच्च आय वाले देशों में एकत्र किया जाता है, जो दुनिया की आबादी का केवल 16% है. नियमित रूप से रक्तदान करने वालों की वजह से आज दुनिया के कई देश सुरक्षित रक्त मरीजों तक पहुंच रहा है. रक्तदाताओं का आभार प्रकट करने और अधिक से अधिक लोगों को स्वतंत्र रूप से रक्त देने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक विशेष दिन नामित किया गया है.

कोविड19 की वजह से प्रभावित हुआ:

कोरोना वायरस की वजह से इस बार भारत के कई ब्लड बैंक में कमी देखने को मिली. जिसके बाद कैंप लगाया गया और लोगों नें अपना रक्तदान दिया ताकि अन्य बीमारी के मरीज को सही समय पर रक्त मिल सके. भारत में नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल के अनुसार भारत में 2023 ब्लड बैंक हैं, जो ब्लड डोनर से 78 प्रतिशत रक्त प्राप्त करते हैं. कोरोना संंकट के दौर में न सिर्फ ब्लड बैंक प्रभावित हुए, बल्कि थैलेसीमिया के मरीजों के अलावा कई मरीजों को भी परेशानी उठानी पड़ी. मामले में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने राज्य सरकारों को वायरस के संक्रमण से बचने के सभी निर्देशों का पालन करते हुए रक्तदान शिविरों की अनुमति दे दी है. इंडिया रेड क्रॉस सोसाइटी के निदेशक ने बताया कि "हमें लोगों को यह बताने की जरूरत है कि ब्लड डोनेशन से Covid19 का संक्रमण नहीं होता.