एथलेटिक्स को प्राथमिक खेल के रूप में बढ़ावा देने के लिए हर वर्ष 7 मई को देश-दुनिया के स्कूल-कॉलेज एवं अन्य मंचों पर विश्व एथलेटिक्स दिवस मनाया जाता है. यह दिवस अंतरराष्ट्रीय एमेच्योर एथलेटिक फेडरेशन (International Amateur Athletic Federation) द्वारा दुनिया भर में विभिन्न मंचों पर मनाया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को एक स्वस्थ और गतिशील जीवन की प्रेरणा देना और एथलेटिक्स के क्षेत्र में नई प्रतिभाओं और युवाओं को विश्व पटल पर लाना है. इस अवसर पर दुनिया भर में खेलकूद के कार्यक्रम, गतिविधियां एवं जागरुकता अभियान चलाए जाते हैं. आइये जानते हैं विश्व एथलेटिक्स दिवस के संदर्भ में कुछ आवश्यक जानकारियां.. यह भी पढ़े :World Asthma Day 2024: कब है विश्व अस्थमा दिवस? जानें इसका इतिहास एवं अस्थमा के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए आवश्यक जानकारियां!
विश्व एथलेटिक्स दिवस का इतिहास
विश्व एथलेटिक्स दिवस 1996 में अंतरराष्ट्रीय एमेच्योर एथलेटिक फेडरेशन (IAAF) के तत्कालीन अध्यक्ष प्राइमो नेबियोलो की दूरदर्शिता से शुरू की गई थी. नेबियोलो का उद्देश्य एथलेटिक्स के मूल्यों को बढ़ावा देने और युवाओं के बीच भागीदारी को प्रोत्साहित करना था. प्रारंभिक प्रयासों में युवा भागीदारी परियोजना को लक्षित किया गया, जिसका लक्ष्य अगली पीढ़ी के एथलीटों, कोचों और अधिकारियों को प्रेरित करना था. स्कूलों और एथलेटिक्स क्लबों ने स्थानीय कार्यक्रमों और गतिविधियों के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. आज विभिन्न कार्यक्रमों, प्रतियोगिताओं, क्लीनिकों और जागरूकता अभियानों के माध्यम से 200 से अधिक देशों में विश्व एथलेटिक्स दिवस मनाया जाता है.
विश्व एथलेटिक्स दिवस का महत्व
विश्व एथलेटिक्स दिवस प्रत्येक वर्ष 7 मई को मनाया जाता है, जिसका वृहद क्षेत्र में भिन्न-भिन्न महत्व है.
जागरूकता बढ़ाना: यह एथलेटिक्स पर प्रकाश डालता है. जनता और मीडिया दोनों का ध्यान आकर्षित करता है.
भागीदारी को प्रोत्साहित करना: विश्व एथलेटिक्स दिवस सभी उम्र और क्षमताओं के प्रतिभाशाली एथलेटिक्स हेतु प्रेरित करता है. वह चाहे संगठित कार्यक्रमों, सामुदायिक गतिविधियों या व्यक्तिगत पहल के माध्यम से हो.
मूल्यों पर प्रकाश डालना: विश्व एथलेटिक्स दिवस दृढ़ता, अनुशासन, निष्पक्ष खेल भावना और टीम वर्क सहित खेल के मूल मूल्यों का प्रतीक है.
एकता और अपनापन: यह दिवस राष्ट्रीय सीमाओं और सांस्कृतिक मतभेदों से रहित एथलेटिक्स को साझा जुनून हेतु एकजुट करता है.
भावी पीढ़ियों को प्रेरित करना: एथलेटिक उपलब्धियों को प्रदर्शित और भागीदारी को बढ़ावा देकर, युवाओं को एथलेटिक सपनों को साकार करने के लिए एक मंच पर कार्य करता है.
भारत में वैदिक काल से जारी है एथलेटिक्स परंपरा
भारत में एथलेटिक्स का इतिहास वैदिक काल से जारी है. वस्तुतः अथर्ववेद के सिद्धांतों ने भारतीय एथलेटिक्स के निर्माण को आकार दिया, हालांकि यह रहस्य आज भी है कि भारत में एथलेटिक्स ने विशिष्ट खेल के रूप में कब अपनी पहचान बनाई, क्योंकि रामायण और महाभारत काल से ही रथ-दौड़, तीरंदाजी, घुड़सवारी, सैन्य रणनीति, कुश्ती, भारोत्तोलन, तैराकी, और शिकार जैसे खेल वैदिक युग से चले आ रहे हैं. बौद्ध काल में भारतीय एथलेटिक्स ने उल्लेखनीय आयाम हासिल किया, जब तीरंदाजी, घुड़सवारी, हथौड़ा फेंकना और रथ-दौड़ जैसी प्रतियोगिताएं चलन में थी. उस काल में भारतीय साम्राज्यों के सैन्य प्रशिक्षण सत्रों में सभी खेल अनिवार्य थे. पैदल-यात्रा, गुल्ली-डंडा, भाला फेंकना आदि खेलों ने प्राचीन भारत में मध्यकाल में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई.