आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की सरकार ने राज्य में सीबीआई की सीधी दखलंदाजी पर पाबंदी लगा दी है. सूबे की सरकार के इस बड़े फैसले ने सबको चौंका दिया है. इस फैसले के बाद अब सीबीआई टीम को किसी भी मामले की जांच के लिए वहां जाने से पहले राज्य सरकार की इजाजत लेनी होगी. वहीं सरकार के इस फैसले से केंद्र और राज्य सरकार आमने-सामने आ गए हैं. राज्य सरकार ने इस फैसले के बाद एक नोटिफिकेशन भी जारी किया है. बता दें कि केंद्र सरकार के खिलाफ सूबे के सीएम लगातार मुहीम चला रहे हैं.
दरअसल, चंद्रबाबू नायडू की सरकार ने दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टैब्लिश्मेंट ऐक्ट 1946 के तहत वापस ले लिया है. इस नियम के तहत राज्य के अंदर सीबीआई को अपनी शक्तियों और अधिकारक्षेत्र का प्रयोग करने के लिए दी गई थी. बता दें कि दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टैब्लिश्मेंट 1946 के तहत सीबीआई का गठन किया गया था. सरकार के इस फैसले से अब एक नया विवाद खड़ा हो गया है.
बता दें कि सीबीआई के डायरेक्टर आलोक वर्मा और जांच एजेंसी में नंबर 2 राकेश अस्थाना पर रिश्वतखोरी के आरोप लगे हैं. जिसके बाद से यह मामला अलग दिशा में जाने लगा है. वहीं घोटालों में सीबीआई अधिकारियों के नाम सामने आने पर सूबे की सरकार ने भारी असंतोष जताया है.
Andhra Pradesh Government has withdrawn the ‘General Consent’ given to the members of Delhi Special Police Establishment to exercise powers & jurisdiction in the state. In the absence of this permission, CBI can't interfere with any case that takes place within the limits of AP pic.twitter.com/bUgvB3hgBD
— ANI (@ANI) November 16, 2018
गौरतलब हो कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. कुछ दिनों पहले ही उन्होंने कहा था कि विपक्षी दलों की राजनीतिक और वैचारिक मजबूरियां हो सकती हैं लेकिन उन्हें लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए 'क्या सही है' इस आधार पर आगे बढ़ना होगा.