नई दिल्ली: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल जल्द ही रूस का दौरा करेंगे, जहां वह यूक्रेन युद्ध के बीच शांति प्रयासों पर चर्चा करेंगे. यह दौरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई फोन वार्ता के बाद तय किया गया है. 23 अगस्त को यूक्रेन यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने पुतिन से चर्चा की थी और कहा था कि वह अजीत डोभाल को रूस भेजेंगे ताकि शांति प्रयासों पर विचार किया जा सके.
यह दौरा उस समय हो रहा है जब कुछ दिनों पहले पुतिन ने स्वीकार किया था कि भारत इस क्षेत्र में समाधान खोजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
ब्रजभूषण का बयान और पूर्व समझौतों पर जोर
व्लादिवोस्तोक में आयोजित 'ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम' में बोलते हुए पुतिन ने जोर दिया कि इस्तांबुल वार्ता के दौरान किए गए समझौते भविष्य की शांति वार्ता के लिए आधार बन सकते हैं. उन्होंने कहा, "क्या हम वार्ता के लिए तैयार हैं? हमने कभी इससे इनकार नहीं किया, लेकिन कुछ अनिश्चित मांगों के आधार पर नहीं, बल्कि उन दस्तावेजों के आधार पर जो इस्तांबुल में सहमति से तैयार हुए थे."
#WATCH | NSA Ajit Doval to visit Russia to mediate peace talks in Ukraine War
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— Republic (@republic) September 8, 2024
साथ ही, पुतिन ने सुझाव दिया कि चीन, भारत और ब्राजील भविष्य में यूक्रेन से संबंधित शांति वार्ताओं में मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं. इससे पहले रूस ने कहा था कि यूक्रेन द्वारा कर्स्क क्षेत्र पर हमला करने के कारण बातचीत असंभव हो गई है.
भारत की शांति पहल
पुतिन की यह टिप्पणी पीएम मोदी की हालिया यूक्रेन और रूस यात्रा के बाद आई है, जिसमें पीएम मोदी ने कहा था कि भारत संघर्ष के शीघ्र, स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान का दृढ़ समर्थक है. पीएम मोदी ने अपने दौरे के दौरान कहा था, "यह युद्ध का युग नहीं है" और किसी भी संघर्ष का समाधान कूटनीति और संवाद से होना चाहिए.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की के साथ द्विपक्षीय वार्ता के दौरान, पीएम मोदी ने दोहराया कि भारत रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति के पक्ष में है और भारत ने कभी तटस्थता नहीं अपनाई. उन्होंने कहा, "हम पहले दिन से तटस्थ नहीं थे, हमने शांति का पक्ष लिया है और हम दृढ़ता से इसके साथ खड़े हैं."
यह यूक्रेन के स्वतंत्र होने के बाद किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी. इस दौरे में विदेश मंत्री एस जयशंकर और NSA अजीत डोभाल भी प्रधानमंत्री के साथ थे.
अजीत डोभाल की भूमिका
अजीत डोभाल के रूस दौरे से उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच शांति वार्ता के मुद्दे पर गहन चर्चा होगी. यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब दुनिया भर की नजरें रूस-यूक्रेन युद्ध के समाधान पर टिकी हैं, और भारत को संभावित मध्यस्थ के रूप में देखा जा रहा है. डोभाल के इस दौरे से भारत की भूमिका को और मजबूती मिल सकती है, जो वैश्विक शांति प्रयासों में योगदान करने के लिए प्रतिबद्ध है.