नई दिल्ली: देश में वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या है. यह प्रदूषण कितना खतरनाक है और जानलेवा है एक ताजा अध्ययन में इसका खुलासा हुआ है. रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत के 10 बड़े शहरों में होने वालीं हर 100 में से 7 मौत के लिए जहरीली हवा यानी की वायु प्रदूषण जिम्मेदार है. प्रदूषण को लेकर हुए इस खुलासे से चिंता एक बार फिर बढ़ गई है. दरअसल इस अध्ययन में दावा किया गया है कि देश के 10 शहरों में हर साल 33 हजार लोगों की मौत वायु प्रदूषण के कारण हो रही हैं. Air Pollution: वायु प्रदूषण से 2021 में 81 लाख मौतें, भारत में 21 लाख लोगों ने गंवाई जान.
यह अध्ययन लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ में छपा है. इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत के 10 सबसे बड़े शहरों में होने वाली सभी मौतों में से सात प्रतिशत से अधिक मौतें वायु प्रदूषण से हो रही हैं. रिपोर्ट के अनुसार, 2008 से 2019 तक 33,000 से अधिक मौतें पीएम 2.5 के संपर्क के कारण हुई.
द लैंसेट प्लेनेटरी हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, 10 प्रमुख भारतीय शहरों में प्रतिदिन होने वाली मौतों में से 7 प्रतिशत से अधिक मौतें PM2.5 सांद्रता के कारण होने वाले वायु प्रदूषण से जुड़ी हैं, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सुरक्षित जोखिम सीमा से अधिक है.
प्रदूषण के मामले में टॉप पर दिल्ली
अध्ययन में कहा गया है कि दिल्ली में पीएम 2.5 वायु प्रदूषण के कारण होने वाली दैनिक और वार्षिक मौतों का सबसे बड़ा हिस्सा है, जिसमें 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास वाले कण शामिल हैं. ये हानिकारक कण मुख्य रूप से वाहनों और औद्योगिक उत्सर्जन से उत्पन्न होते हैं. राजधानी दिल्ली सहित धुंध से भरे भारतीय शहर दुनिया के सबसे खराब वायु प्रदूषण से पीड़ित हैं, जिससे लोगों के फेफड़े जाम हो रहे हैं और स्वास्थ्य के लिए खतरा बढ़ रहा है.
इन दस शहरों में वायु प्रदूषण अधिक खतरा
रिपोर्ट के अनुसार, देश के 10 शहरों- अहमदाबाद, बंगलूरू, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, पुणे, शिमला और वाराणसी में साल 2008 से 2019 के बीच अध्ययन किया. ‘लांसेट प्लेनेटरी हेल्थ' पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट कहती है कि 2008 से 2019 के बीच कम से कम 33 हजार लोगों की जान इसी पीएम2.5 पार्टिकल के कारण गई. यह इस अवधि में इन दस शहरों में हुईं कुल मौतों का 7.2 फीसदी है. वैज्ञानिकों ने इन शहरों में हुईं लगभग 36 लाख मौतों का विश्लेषण किया.
अध्ययन में अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, पुणे, शिमला और वाराणसी सहित शहरों के डेटा का विश्लेषण किया गया. इसमें पता चला कि PM2.5, छोटे प्रदूषक जो फेफड़ों और रक्तप्रवाह में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं, का स्तर 99.8 प्रतिशत दिनों में WHO की सुरक्षित सीमा 15 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक था.
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में साफ हवा के मानक, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साफ हवा के मानकों से पहले ही ज्यादा हैं, लेकिन कई शहरों में तय मानकों से भी कई गुना ज्यादा प्रदूषण एक बड़ी समस्या बना हुआ है.इसके चलते लोग कई बीमारियों के शिकार हो रहे हैं.