राज्यसभा ने मंगलवार को मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (संशोधन) बिल 2020 (The Medical Termination of Pregnancy (Amendment) Bill-2020) पारित कर दिया जिसमें गर्भपात की मंजूर सीमा को वर्तमान 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह करने का प्रावधान किया गया है. इससे पहले मार्च 2020 में इस विधेयक को लोकसभा ने पारित किया था.स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने सदन में विधेयक पर हुयी चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इसे व्यापक विचार विमर्श कर तैयार किया गया है. उन्होंने कहा कि यह विधेयक लंबे समय से प्रतीक्षित है और लोकसभा में यह पिछले साल पारित हो चुका है. वहां यह विधेयक सर्वसम्मति से पारित हुआ था. उन्होंने कहा कि इस विधेयक को तैयार करने से पहले दुनिया भर के कानूनों का भी अध्ययन किया गया था.
बिल में गर्भपात की सीमा बढ़ाकर 24 हफ्ते करने का प्रवाधान है. इससे पहले महिलाएं अधिकतम 20 हफ्ते तक ही गर्भपात करा सकती थीं. इस बिल का प्रावधान विशेष वर्ग की महिलाओं के लिए किया गया है. इसके अंतर्गत दुष्कर्म पीड़िता, सगे-संबंधियों की बुरी नजर की शिकार पीड़िताएं, दिव्यांग और नाबालिग शामिल हैं.
संशोधन के अंतर्गत गर्भावस्था (Pregnancy) के 20 हफ्ते तक गर्भपात कराने के लिए एक चिकित्सक की राय लेने की जरूरत का प्रस्ताव है. गर्भावस्था के दौरान 20 की जगह 24 हफ्ते तक गर्भपात कराने के लिए दो चिकित्सकों की राय लेना जरूरी होगा. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विशेष तरह की महिलाओं के गर्भपात के लिए गर्भावस्था की सीमा 20 से बढ़ाकर 24 हफ्ते करने का प्रस्ताव रखा है.
हाल के दिनों में अदालतों में कई याचिकाएं दाखिल की गईं जिनमें भ्रूण संबंधी विषमताओं या महिलाओं के साथ यौन हिंसा की वजह से गर्भधारण के आधार पर मौजूदा स्वीकृत सीमा से ज्यादा गर्भावस्था की अवधि पर गर्भपात कराने की अनुमति मांगी गई थी. मेडिकल बोर्ड द्वारा जांच में पाई गई शारीरिक भ्रूण संबंधी विषमताओं के मामले में गर्भावस्था की ऊपरी सीमा लागू नहीं होगी. बिल में उस स्त्री की निजता की संरक्षा करने की बात कही गई है जिसकी गर्भावस्था का समापन किया जा रहा है.