2 साल के बच्चे के मंदिर में प्रवेश पर दलित परिवार पर जुमार्ना लगाने के आरोप में 5 गिरफ्तार
गिरफ्तार/ प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Facebook)

कोप्पाल, 23 सितम्बर: कर्नाटक (Karnataka) पुलिस ने एक दलित परिवार पर जुमार्ना लगाने के मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस सूत्रों ने गुरुवार को यह जानकारी दी. गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान कनकप्पा पुजारी, हनुमा गौड़ा, गविसिद्दप्पा म्यागेरी, विरुपक्षगौड़ा म्यागेरी और शरणगौड़ा के रूप में हुई है. उन पर कुश्तगी पुलिस द्वारा आईपीसी की धारा 504, 149, एससी-एसटी अधिनियम 2005 के तहत मामला दर्ज किया गया है. यह भी पढ़े: Chhattisgarh: दूध पीने की जिद करने पर मां ने बेटे को जमीन पर पटका, बच्चे की मौत

हालांकि, दलित लड़के के पिता ने शिकायत दर्ज नहीं कराई है और पुलिस विभाग ने अपराध का स्वत: संज्ञान लिया है. पिता ने पुलिस से कहा है कि वह फिर से सवर्ण जाति से परेशान होने पर ही शिकायत दर्ज कराएंगे. 2 साल के दलित लड़के के माता-पिता पर 23,000 रुपये का जुमार्ना लगाया गया क्योंकि लड़के ने मियापुरा के हनुमान मंदिर में प्रवेश किया था. बच्चे को उसके पिता उसके जन्मदिन पर गांव के हनुमान मंदिर के पास ले गए. चूंकि दलितों को मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं थी, वे हमेशा बाहर से मंदिर के सामने खड़े होकर भगवान से प्रार्थना करते है. पिता अपने बेटे के साथ बाहर से प्रार्थना कर रहा था. बारिश होने पर भी पिता मंदिर के बाहर खड़े होकर प्रार्थना करते रहे. हालांकि, उत्साह में बच्चा मंदिर के अंदर भाग गया. घटना चार सितंबर की है.

जिसके बाद यह एक मुद्दा बन गया क्योंकि उच्च जाति के ग्रामीणों ने इसे मंदिर को अपवित्र करना माना. उन्होंने 11 सितंबर को एक बैठक की और लड़के के माता-पिता से 23,000 रुपये का जुमार्ना भरने को कहा, जो कि मंदिर के शुद्धिकरण अनुष्ठानों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किए जाएंगे. हालांकि, मामले की जानकारी मिलने पर जिला प्रशासन ने पुलिस, राजस्व और समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों को गांव भेज दिया. अधिकारियों ने सभी ग्रामीणों के लिए छुआछूत के संबंध में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया. अधिकारियों ने दलित लड़के पर मंदिर में प्रवेश करने पर जुर्माना लगाने के लिए उच्च जाति के सदस्यों को आड़े हाथों लिया. कोप्पल के पुलिस अधीक्षक टी.श्रीधर ने भी घटनास्थल का दौरा किया. दोषियों को चेतावनी दी गई. हालांकि पुलिस पीड़ित को शिकायत दर्ज कराने के लिए मनाने के लिए उनके घर गई, लेकिन समुदाय के बुजुर्गों ने शिकायत दर्ज नहीं करने का फैसला किया. सरकारी अधिकारियों की टीम ने भी गांव का दौरा कर जागरूकता कार्यक्रम चलाया है.