नई दिल्ली, 25 जुलाई : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की दक्षिण पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक साइमा वाजेद ने बताया कि दुनिया भर में हर साल डूबने से लगभग 236,000 लोगों की मौत होती है. यह आंकड़ा प्रतिदिन 350 या प्रति घंटे 26 है. हर साल 25 जुलाई का दिन 'वर्ल्ड ड्राउनिंग प्रिवेंशन डे' के रूप में मनाया जाता है, ताकि दुनिया भर में चोट से संबंधित मृत्यु और विकलांगता के प्रमुख कारण के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाई जा सके.
इस वर्ष की थीम है ‘कोई भी डूब सकता है, किसी को नहीं डूबना चाहिए’. क्षेत्रीय निदेशक ने कहा, “2019 में दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में डूबने से 70,034 लोगों की जान चली गई, जिससे यह दुनिया भर में डूबने से होने वाली मौतों में दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र बन गया.'' यह भी पढ़ें : मंत्री पाटिल ने एमयूडीए ‘घोटाले’ के खिलाफ भाजपा के पूरी रात चले धरने को ‘राजनीतिक नाटक’ बताया
उन्होंने कहा, ''डूबना एक अचानक और खामोश मौत है. रोकथाम ही इससे बचने का उपाय है. अधिकांश घटनाएं निगरानी की कमी, खतरनाक जल निकायों के संपर्क में आने, अपर्याप्त जागरूकता और गरीबी के कारण घरों के पास होती हैं.'' वाजेद ने कहा कि इसके लिए कई ऐसे निवारक उपाय मौजूद हैं जो इस मुद्दे को संबोधित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने कहा कि वैश्विक स्वास्थ्य निकाय ने डूबने से बचाव के लिए साक्ष्य-आधारित, लागत प्रभावी और मापनीय रणनीतियों की एक रूपरेखा तैयार की है.
इसमें अलग-अलग संदर्भों के लिए मार्गदर्शन भी दिया गया है. वाजेद ने कहा, ''डूबने से होने वाली मौतों की रोकथाम में हम सभी की भूमिका आवश्यक है, चाहे जागरूकता बढ़ानी हो, प्रभावी समाधानों के बारे में जानकारी को बढ़ावा देना हो, स्थानीय या राष्ट्रीय सरकारों के साथ रोकथाम योजनाओं और नीतियों पर सहयोग करना हो, संबंधित संगठनों के साथ स्वयं सेवा करनी हो या पानी के आसपास व्यक्तिगत और पारिवारिक सुरक्षा सुनिश्चित करनी हो, हममें से हर कोई इसमें बदलाव ला सकता है.''