मंत्री पाटिल ने एमयूडीए ‘घोटाले’ के खिलाफ BJP के पूरी रात चले धरने को ‘राजनीतिक नाटक’ बताया
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बेंगलुरु, 25 जुलाई : कर्नाटक के कानून एवं विधायी मामलों के मंत्री एच. के. पाटिल ने विधानसभा में मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) घोटाले पर चर्चा की मांग अस्वीकार होने पर सदन में पूरी रात धरना देने के लिए विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की बृहस्पतिवार को आलोचना की. पाटिल ने कहा कि यह बताए जाने के बावजूद कि एमयूडीए में वैकल्पिक स्थल (भूखंड) घोटाले में स्थगन प्रस्ताव क्यों नहीं लाया जा सकता, भाजपा ने मौजूदा विधानसभा सत्र का अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा एमयूडीए अनियमितताओं की जांच के आदेश दिए हैं. पाटिल ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री ने अपने खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए एक आयोग का गठन किया है. क्या ऐसा कोई उदाहरण है जब किसी मुख्यमंत्री ने अपने खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए आयोग का गठन किया हो?’’

उन्होंने विपक्षी भाजपा और उसके सहयोगी जनता दल (सेक्युलर) से जानना चाहा कि क्या पूर्व मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी, बी. एस. येदियुरप्पा और बसवराज बोम्मई द्वारा आयोग गठित करने का कोई उदाहरण है? मंत्री ने एक बयान में कहा, ‘‘विपक्षी दल को मुख्यमंत्री की पहल की सराहना करनी चाहिए थी. यह (रात भर का आंदोलन) सिर्फ एक राजनीतिक नाटक है.’’ उन्होंने याद दिलाया कि विपक्ष उत्तर कन्नड़ जिले के शिरूर में हुए भूस्खलन पर चर्चा करने को तैयार नहीं है. पाटिल ने आरोप लगाया कि भाजपा एक राष्ट्र एक चुनाव, राष्ट्रीय प्रवेश-सह-पात्रता परीक्षा (नीट) के स्थान पर सामान्य प्रवेश परीक्षा (सीईटी) की बहाली संबंधी विधेयकों और जनहित से जुड़े अन्य मुद्दों पर चर्चा करने को इच्छुक नहीं है. आरोप है कि सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को मैसूरु के एक पॉश इलाके में क्षतिपूर्ति वैकल्पिक भूखंड आवंटित किए गए थे, जिनका मूल्य एमयूडी द्वारा ‘‘अधिग्रहित’’ की गई उनकी भूमि की तुलना में अधिक है. यह भी पढ़ें : कर्नाटक में हुआ 600 करोड़ का एक और वाल्मीकि घोटाला: शहजाद पूनावाला

भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि सिद्धारमैया के कई समर्थकों को भी कथित तौर पर ‘‘इस तरह से लाभ मिला है.’’ एमयूडीए ने आवासीय लेआउट विकसित किए गए स्थान पर पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे. विवादास्पद योजना में लेआउट बनाने के लिए अधिग्रहित अविकसित भूमि के बदले में भूमि देने वाले को 50 प्रतिशत विकसित भूमि आवंटित करने की परिकल्पना की गई है.