
मोदी सरकार ने एक बार फिर डिजिटल स्ट्राइक करते हुए गूगल प्ले स्टोर से 119 चीनी ऐप्स को हटाने का आदेश दिया है. ये ऐप्स मुख्य रूप से वॉयस और वीडियो चैट सेवाओं से जुड़े हैं और इनके डेवलपर्स हांगकांग और चीन से संबंध रखते हैं.
प्रतिबंधित चीनी ऐप्स राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा
हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, इन ऐप्स को भारत की संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना जा रहा है. यह पहली बार नहीं है जब भारत सरकार ने चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया है. 2020 में, सरकार ने डिजिटल सुरक्षा उपायों के तहत टिकटॉक और शेयरइट जैसे कई लोकप्रिय चीनी ऐप्स को प्रतिबंधित किया था.
लुमेन डेटाबेस में दर्ज प्रतिबंधित ऐप्स
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रतिबंधित चीनी ऐप्स को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (यूएस) द्वारा प्रबंधित लुमेन डेटाबेस में सूचीबद्ध किया गया है. भारत सरकार ने पहले ही 20 जून 2020 को 100 से अधिक चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया था और 2021 तथा 2022 में और अधिक ऐप्स पर कार्रवाई की गई थी.
प्रतिबंध के कानूनी आधार
सरकार ने इस प्रतिबंध को लागू करने के लिए आईटी एक्ट की धारा 69A का उपयोग किया है. दिलचस्प बात यह है कि प्रतिबंधित ऐप्स में से कुछ ऐप्स सिंगापुर, अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसी अन्य देशों की कंपनियों द्वारा भी विकसित किए गए थे. सरकार ने इन ऐप्स की सार्वजनिक पहुंच को सीमित कर दिया है. रिपोर्ट के अनुसार, 119 में से केवल 15 ऐप्स को गूगल प्ले स्टोर से हटा दिया गया है, जबकि कई अभी भी उपलब्ध हैं.
प्रतिबंधित चीनी ऐप्स की सूची
सरकार द्वारा प्रतिबंधित किए गए 119 ऐप्स में से केवल तीन प्रमुख ऐप्स का उल्लेख रिपोर्ट में किया गया है:
ChillChat – यह सिंगापुर स्थित Mangostar Team द्वारा विकसित एक वीडियो चैट और गेमिंग ऐप है. इस ऐप के गूगल प्ले स्टोर पर 10 लाख से अधिक डाउनलोड और 4.1 स्टार रेटिंग थी.
ChangApp – यह एक चीनी ऐप है, जिसे Blom नामक डेवलपर द्वारा विकसित किया गया है और इसे प्रतिबंधित ऐप्स की सूची में शामिल किया गया है.
HoneyCam – यह एक ऑस्ट्रेलियाई कंपनी Shellin PTY Ltd द्वारा विकसित फोटो और वीडियो ऐप है. इस ऐप में स्वचालित फ़िल्टर और मैन्युअल समीक्षा जैसी कंटेंट मॉडरेशन विशेषताएँ शामिल हैं.
डिजिटल सुरक्षा पर सरकार का रुख
भारत सरकार का यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि उपयोगकर्ताओं का डेटा सुरक्षित रहे और विदेशी हस्तक्षेप को रोका जा सके. विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की डिजिटल स्ट्राइक्स भविष्य में भी जारी रह सकती हैं, जिससे भारतीय यूजर्स को सुरक्षित डिजिटल वातावरण मिल सके.