मुंबई: दिंदोशी ने विंटा नंदा के खिलाफ आलोक नाथ की अपील को ठुकरा दिया है. आलोक नाथ ने कोर्ट से गुजारिश की थी कि वो आदेश देकर विंटा नंदा को मीडिया में उन्हें लेकर किसी भी तरह का बयान देने से बचें. आलोक नाथ पर विंटा नंदा ने रेप और छेड़छाड़ का आरोप लगाया था जिसे लेकर उन्होंने मीडिया से भी बातचीत की थी.
इसी को लेकर कुछ ही दिन पहले अलोक नाथ की पत्नी आशु सिंह ने विंटा नंदा पर सिविल डिफेमेशन का केस फाइल किया था और उनसे 1 रुपया मुआवजे के तौर पर मांगा था. इसी के साथ उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि मीडिया में किसी भी तरह का स्टेटमेंट देने से विंटा नंदा को रोका जाए.
सेशन जज एस.यू.बघेले ने पाया कि ना ही आलोक नाथ और ना ही आशु सिंह, विंटा नंदा के फेसबुक को लेकर ये साबित करके सके कि उनका अपमान किया गया है. फेसबुक पोस्ट में विंटा नंदा ने आरोप लगाया है कि जब वो 19 साल की थी तब आलोकनाथ ने उनका बलात्कार किया था.
कोर्ट ने ये भी पाया कि आलोक नाथ और और आशु सिंह जोकि शिकायतकर्ता हैं, उन्हें किसी भी रूप में अंतरिम राहत नहीं दी जा सकती. इसी के साथ विंटा नंदा की वकील धृति कपाड़िया में कोर्ट से गुजारिश की कि इस मामले को खारिज कर दिया जाए.
कोर्ट के फैसले से खुश विंटा नंदा की वकील ने कहा कि कोर्ट का ये फैसला महिलाओं के लिए बड़ी जीत है. इसके चलते अब ज्यादा से ज्यादा महिलाएं आगे आकर अपनी बात रखेंगी. कई लोगों ने मेरे क्लाइंट को समझाया कि आलोक नाथ के खिलाफ केस न करें क्योंकि वो एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं लेकिन अब हम इस लड़ाई को अंत तक लड़ेंगे."
वहीं दूसरी ओर आलोक नाथ के वकील अशोक सरोगी ने कोर्ट से कहा कि उन्हें क्लाइंट बेकसूर हैं और क्योंकि विंटा नंदा एक स्क्रीन राइटर हैं इसलिए वो बलात्कारी की कहानी बनाकर आलोकनाथ को फंसा रही हैं.