सलमान खान ने बॉलीवुड में कई न्यूकमर्स को लॉन्च किया है. इस बार फिल्म 'लवयात्री' से सलमान के जीजा आयुष शर्मा बॉलीवुड में अपने पहले कदम रख रहे हैं. साथ ही वरीना हुसैन भी इस फिल्म से अपना बॉलीवुड डेब्यू कर रही हैं. फिल्म के पहले हाफ ने हमें काफी निराश किया था और दूसरा हाफ भी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा. सलमान खान ने आयुष शर्मा और वरीना हुसैन के साथ मिलकर फिल्म को खूब प्रमोट किया था. रिलीज से पहले ही फिल्म ने काफी सुर्खियां बटोरी थी. दर्शक इस फिल्म से काफी उम्मीदें लगाए बैठे थे पर अफसोस इस फिल्म को देखने के बाद यह कहना मुश्किल होगा कि 'लवयात्री' एक एंटरटेनिंग फिल्म है. फिल्म में अगर कुछ अच्छा है तो वो है इसका म्यूजिक. अगर आपको गरबा खेलना पसंद है तो शायद यह फिल्म आपको टुकड़ो में पसंद आ सकती है.
कहानी : 'लवयात्री' सुश्रुत (आयुष शर्मा) और मिशेल(वरीना हुसैन) की कहानी है. सुश्रुत को गरबा खेलना काफी अच्छा लगता है और वह बच्चों को गरबा सिखाता भी है. उसका सपना है कि वह अपनी एक गरबा अकैडमी खोले. उसके दो दोस्त है- नेगेटिव और रॉकेट. मिशेल लंदन में रहती हैं और वह पढ़ाई में काफी अच्छी है. कुछ दिनों के लिए वह अपने पिता (रौनित रॉय) के साथ भारत आती है. उस समय नवरात्रे चल रहे होते हैं. गरबा फेस्टिवल के दौरान सुश्रुत को मिशेल से प्यार हो जाता है. सुश्रुत के मामा (राम कपूर) उससे कहते हैं कि उसे 9 दिनों के अंदर ही मिशेल का प्यार हासिल करना होगा. उसके बाद मिशेल वापिस लंदन लौट जएगी. सुश्रुत और मिशेल करीब आने लगते हैं पर जब मिशेल के पिता को इस बात का पता चलता है तब वह सुश्रुत को मिशले से दूर करने की कोशिश करते है. कहानी में आगे क्या होता है, यह जानने के लिए आपका इस फिल्म को देखना जरुरी है.
निर्देशन : अभिराज मिनावाला प्रभावित करने में असफल रहें हैं. कई जगहों पर फिल्म रफ्तार पकड़ती है लेकिन अभिराज मिनावाला उसे बरकरार रखने में असफल साबित होते हैं. कुछ दृश्य तो ऐसे हैं जिन्हें देखकर यह समझ में ही नहीं आता है कि इन्हें फिल्म में रखने का क्या मतलब था. साथ ही फिल्म की कहानी भी काफी कमजोर है, जिसकी वजह से यह फिल्म दर्शकों को इम्प्रेस करने में नाकामयाब हो सकती हैं.
अभिनय : - आयुष शर्मा और वरीना हुसैन की यह पहली फिल्म है मगर दोनों ही अपने अभिनय की छाप नहीं छोड़ पाते हैं. फिल्म के पहले हाफ में आयुष शर्मा के दोस्त की भूमिका निभा रहे प्रतीक गांधी (नेगेटिव) अपनी जबरदस्त कॉमिक टाइमिंग के द्वारा कुछ दृश्यों में आपको खूब हंसाएंगे. उनका अभिनय काफी दमदार है पर उनके ज्यादा सीन्स नहीं हैं. रौनित रॉय और राम कपूर का अभिनय भी इस फिल्म में काफी साधारण है. 'लवयात्री' में अरबाज खान और सोहेल खान का कैमियो भी है पर वो भी उतना प्रभावशाली नहीं है.
म्यूजिक : फिल्म का म्यूजिक ही इसका बेस्ट पार्ट है. फिल्म के सारे गाने काफी बढ़िया है. भले ही फिल्म की कहानी उतनी दमदार नहीं है लेकिन तब भी आप फिल्म के संगीत को खूब एन्जॉय करेंगे. खासतौर पर 'छोगाड़ा' और 'तेरा हुआ' जैसे गाने आपको काफी अच्छे लगेंगे.
फिल्म की खूबियां : -
1. बेहतरीन म्यूजिक
2. प्रतीक गांधी की कॉमिक टाइमिंग और उनका अभिनय
फिल्म की खामियां : -
1. कमजोर कहानी और निर्देशन
2. आयुष शर्मा और वरीना हुसैन का साधारण अभिनय
3. फिल्म की रफ्तार बरकरार न रख पाना
कितने स्टार्स ?
इस फिल्म ने हमें काफी मायूस किया है पर तब भी बेहतरीन म्यूजिक और कुछ एंटरटेनिंग सीन्स के लिए हम 'लवयात्री ' को 1.5 स्टार्स देना चाहेंगे.