Soorma Review : प्रेरित करेगा संदीप सिंह का मुश्किलों भरा सफर, दिल जीत लेगा दिलजीत दोसांझ का अभिनय
फिल्म 'सूरमा' का रिव्यू

इस दुनिया में हर इंसान की जिंदगी में एक ऐसा मुश्किल वक्त आता है जब उसे लगता है कि अब सब कुछ खत्म हो चुका है. कुछ लोग यहीं हार मान लेते हैं. वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो इन कठिनाइयों का डट कर सामना करते हैं और अपनी जिंदगी के इस मुश्किल पड़ाव को पार करने में सफल होते हैं. 'सूरमा' भी एक ऐसे ही दिग्गज खिलाड़ी की कहानी है. हॉकी प्लेयर संदीप सिंह की जिंदगी पर आधारित यह फिल्म आपको जरुर प्रेरित करेगी. निर्देशक शाद अली ने बहुत ही सादगी और सुंदरता के साथ फ्लिकर सिंह की जिंदगी को बड़े पर्दे पर दिखाया है. हालांकि फिल्म देखते वक्त कई ऐसे मौके आते हैं जब लगता है कि कुछ दृश्यों को थोड़ा और ड्रामेटिक अंदाज में दिखाना चाहिए था.

कहानी : - संदीप सिंह के बचपन को दिखाते हुए इस कहानी की शुरुआत होती है. जहां संदीप बचपन में अपने कोच के द्वारा दी गई सजा से भागकर हॉकी खेलना छोड़ देते हैं, वहीं उनके बड़े भाई बिक्रमजीत सिंह पूरी मेहनत के साथ हॉकी खेलते हैं. जवानी में संदीप (दिलजीत दोसांझ) को हरप्रीत (तापसी पन्नू) से प्रेम हो जाता है और हरप्रीत ही उन्हें हॉकी खेलने के लिए प्रेरित करती हैं. हरप्रीत का दिल जीतने के लिए संदीप जमकर हॉकी का अभ्यास करना शुरू कर देते हैं और उनका इंडियन हॉकी टीम में सिलेक्शन भी हो जाता है. फिर संदीप के साथ एक दर्दनाक हादसा हो जाता है. इसके बाद वह किस तरह इन मुश्किलों का सामना करते हैं, उसे जानने के लिए आपका फिल्म देखना जरुरी है. फिल्म की शुरुआत थोड़ी धीमी होती है पर बाद में 'सूरमा' तेजी पकड़ लेती है.

अभिनय : - दिलजीत दोसांझ ने फ्लिकर सिंह के किरदार को बखूबी निभाया है. संदीप सिंह के रूप में वह आपका दिल जीतने में सफल होंगे. तापसी पन्नू का अभिनय भी काबिले तारीफ है. इस फिल्म में दिलजीत और तापसी की केमिस्ट्री लाजवाब है. इन दोनों के कुछ रोमांटिक सीन्स आपके दिल को छूं लेंगे. संदीप सिंह के भाई बिक्रमजीत का किरदार अंगद बेदी ने काफी उम्दा तरीके से निभाया है. विजय राज ने भारतीय टीम के कोच की भूमिका निभाई है और उनकी कॉमिक टाइमिंग आपको हंसने पर मजबूर कर देंगी.

निर्देशन : - संदीप सिंह के मुश्किल भरे सफर को शाद अली बड़े पर्दे पर उतारने में कामयाब तो रहें पर फिल्म के कुछ सीक्वेंस थोड़े फीकें लगते हैं. हम मानते हैं कि एक बायोपिक में सादगी होना जरुरी है पर दर्शकों का फिल्म से कनेक्ट कर पाना भी अहम है. कुछ दृश्यों को देख ऐसा लगता है कि उनमें थोड़े इमोशन्स और होने चाहिए थे.

म्यूजिक :- शंकर एहसान लॉय द्वारा दिया गया म्यूजिक काफी शानदार है. फिल्म का टाइटल ट्रैक जोश और उमंग से भरा हुआ है. 'इश्क दी बाजियां' फिल्म के रोमांटिक मूड के हिसाब से बिल्कुल फिट बैठता है.

फिल्म की खूबियां : -

1. दिलजीत दोसांझ का दमदार अभिनय

2. विजय राज का मजाकिया अंदाज

3.संदीप सिंह की प्रेरित करने वाली कहानी

फिल्म की खामियां : -

1. धीमी शुरुआत

2. कुछ दृश्यों का जरुरत से ज्यादा साधारण होना

कितने स्टार्स ?

दिलजीत दोसांझ के बेहतरीन अभिनय और संदीप सिंह की इंस्पायर करने वाली कहानी को देखते हुए हम इस फिल्म  को 3 स्टार्स देना चाहेंगे.