Sam Bahadur Review: देश के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के जीवन पर बनी बायोपिक 1 दिसंबर को रिलीज के लिए तैयार है. फिल्म को जानी मानी डायरेक्टर मेघना गुलजार ने डायरेक्ट किया है. फिल्म में विक्की कौशल प्रमुख भूमिका में हैं. उनकी पत्नी का किरदार सान्या मल्होत्रा ने निभाया है और इंदिरा गांधी का किरदार फातिमा सना शेख निभाया है. फिल्म से दर्शकों को काफी उम्मीदें थी अब यह फिल्म उन उम्मीदों पर कितनी खरी उतरी है, यह जानना है तो फिल्म का पूरी रिव्यू जरूर पढ़ें...
फिल्म की कहानी द्वितीय विश्व युद्ध से शुरु होती है, जिसमें सैम बहादुर (Vicky kaushal) को 9 गोलियां लगती हैं, पर बावजूद इसके वे हार नहीं मानते और रिकवर हो जाते हैं. फिल्म में दिखाया गया है कि वे बहुत ही खुशमिजाज और जिंदादिल इंसान हैं. वे काफी फनी और रोमांटिक भी हैं. एक दिन उन्हें एक लड़की (सान्या मल्होत्रा) से प्यार हो जाता है और लगे हाथ शादी कर लेते हैं. देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद होता है. पर इसकी कीमत भी भारी चुकानी पड़ती है. क्योंकि एक देश से अब दो देश बन चुके हैं हिन्दुस्तान और पाकिस्तान. फिल्म 1971 भारत-पाक युद्ध की तरफ बढ़ती है और सैम मानेकशॉ की रणनीति से भारत यह युद्ध जीत जाता है. फिल्म में इतिहास के बड़ी-बड़ी घटनाओं को समेटने की कोशिश की गई है. साथ ही फिल्म को ज्यादा सार्थक बनाने के लिए ओरिजनल फुटेज का भी खूब सारा इस्तेमाल किया गया है. फिल्म वॉर के साथ साथ सैम मानेकशॉ की निजी जिंदगी पर भी नजर डालती है.
विक्की कौशल को इससे पहले राजी और उरी जैसी फिल्मों में आर्मी की वर्दी में दर्शकों ने उन्हें देखा था और खूब पसंद भी किया था. सैम मानेकशॉ का किरदार उन सबसे अलग है. जिसे विक्की कौशल ने पूरी तरह से अलग रखा है. उन्होंने अपनी दमदार अदाकारी से सैम मानेकशॉ को एक बार फिर जीवित कर दिया है. लुक के साथ साथ उनकी बॉडी लैंग्वेज और उनके बोलने का तरीका एकदम अलग और सैम मानेकशॉ से मैच खाता नजर आता है. यह फिल्म पूरी तरह से विक्की के कंधों पर टिकी हुई है और उन्होंने एक बार फिर साबित किया है कि विक्की के कंधे काफी मजबूत हैं. सान्या मल्होत्रा भी विक्की के साथ ताल से ताल मिलाती नजर आई हैं, उन्होंने एक पारसी महिला के किरदार को बाखूबी पकड़ा और निभाया. फातिमा सना शेख ने इंदिरा गांधी का किरदार निभाया है. उन्होंने इस बार अपनी एक्टिंग से निराश किया है. इंदिरा गांधी के किरदार में जो एक गरमजोशी की उम्मीद की जा रही थी वह मिसिंग थी. इसके अलावा जवाहर लाल नेहरु का किरदार भी काफी निराशजनक लगता है.
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मेघना गुलजार ने राजी जैसी फिल्में डायरेक्ट की हैं, इसलिए उनके सिनेमा से दर्शकों को काफी उम्मीदें जुड़ जाती हैं. पर वे सैम बहादुर का फर्स्ट हाफ संभालने में थोड़ा कमजोर दिखीं, हलांकि सेकंड हाफ थोड़ा स्पीड पकड़ता है. फिल्म की कहानी कई जगहों पर बहुत फ्लैट चलती है, जो थोड़ा उदासी देती है. बावजूद इसके उन्होंने फिल्म में काफी वास्तविक फुटेज को इस्तेमाल करके इसे यथार्थता के करीब रखने की कोशिश की है, जिसमें वे सफल रही हैं. फिल्म का म्यूजिक और गाने एवरेज हैं, यहां पर और अधिक काम किया जा सकता था. Vicky on Katrina's Tiger 3 Towel Scene: विक्की ने कैटरीना के टॉवेल वाले एक्शन सीन्स को देखकर इस तरह किया था रिएक्ट, 'मैं आपसे बहस नहीं करना चाहता...'
कुछ खामियों के अलावा फिल्म में काफी खूबियां भी हैं जैसे विक्की कौशल की तगड़ी एक्टिंग, प्रेरणात्मक कहानी और यथार्थता को बरकार रखना आदि. इस फिल्म को देखने के बाद आप निराश नहीं होगे. फिल्म देखने के बाद आपको एक प्रेरणा मिलेगी और देशभक्ति जागेगी.