Murder At Koh E Fiza Movie Review: इस क्राइम थ्रिलर फिल्म में है ढेर सारा रोमांच, ट्विस्ट और टर्न से भरी है कहानी

इस शुक्रवार को अभिनेत्री श्रेया नारायण की फिल्म ‘मर्डर एट कोह ए फिजा’ ओटीटी पर रिलीज हुई है. इस फिल्म को देखने से पहले ये रिव्यू जरूर पढ़ें.  .

मर्डर एट कोह ए फिजा मूवी रिव्यू (Photo Credits: File Photo)

Murder At Koh E Fiza Movie Review:  कास्ट : श्रेया नारायण, अकरम खान, अमित्रयान और सनी सिंह

निर्देशक : दिवाकर नाईक

निर्माता : मनोज नंदवाना

रनटाइम : 1 घंटा 41 मिनट

कहानी

ये कहानी है विक्रम और कंगना नामक पति-पत्नी की जो भोपाल की पॉश कालोनी ‘कोह ए फिजा’ में रहते हैं. दास बाबू विक्रम के सीनियर थे जिनकी विक्रम ने प्रमोशन के लिए कर दी. उनके बाद विक्रम को कंपनी में सीईओ का पद मिलता है. उसने कंपनी के फंड को अवैध रूप से कंगना के नाम पर एक रिसॉर्ट खरीदने के लिए इस्तेमाल किया है. इस दौरान 100 करोड़ रुपए की बीमा पॉलिसी भी ली थी. सरकार ने उनकी जमीन को ग्रीन जोन घोषित कर दिया और अब वह उस पर अपना रिसॉर्ट नहीं बना सकते. जैसा कि मामला था, विक्रम दिवालिया हो गया. वह रकम चुकाने का अपना वादा पूरा नहीं कर सकता. इसके बाद उनके एमडी ने उन्हें कंपनी से निकाल दिया. अचानक उसे अपने इंश्योरेंस पॉलिसी का ख्याल आता है. विक्रम और कंगना पॉलिसी के कागजात खोजते हैं और एक योजना को अंजाम देते हैं. विक्रम खुद को एक मृत व्यक्ति के रूप में घोषित करता है और इसके बजाय वे एक निर्दोष चाय विक्रेता प्रसाद को मार देते हैं. उदय सक्सेना- एक जांच अधिकारी, को कुछ गड़बड़ होने का आभास होने लगता है. वह कंगना को बुलाता है और उसके साथ फ्लर्ट करता है. कंगना उन्हें सिर्फ इंश्योरेंस क्लेम क्लीयर कराने की इजाजत देती हैं. जब तक इंस्पेक्टर राजवीर घटनास्थल पर आता है. वह भी कंगना की तरफ आकर्षित हो जाते हैं. राजवीर का बेहतरीन इस्तेमाल कंगना करती है. फरेब और जालसाजी के इस खेल में विक्रम, कंगना, उदय और राजवीर सब अपने फायदे हेतु कार्य करते नजर आते हैं.

अभिनय

फिल्म में लीड एक्टर्स श्रेया नारयण और अकरम खान ने अच्छा अभिनय किया है. श्रेया अपने अभिनय के लिए पहचानी जाती हैं कंगना के किरदार में वह पर्दे पर कमाल करती हैं. बोल्ड सीन्स में भी उनकी अदाकारी प्रभावशाली है. वहीं  विक्रम के किरदार में अमित्रयान जंचते हैं. इंश्योरेंस कंपनी के अधिकारी उदय के किरदार में सनी सिंह ने प्रभावित किया है. वह अपने चेहरे पर लालच और धोखेबाज के भाव चालाकी से दिखाने में कामयाब रहते हैं. अकरम खान ने इंस्पेक्टर राजवीर को किरदार को गंभीरता पूर्वक दर्शाया है.

फाइनल टेक

फिल्म की कहानी ट्रेडिशन होते हुए भी आपको ट्रीटमेंट में नावेल्टी देखने को मिलती हैं. अपनी शुरुआत से क्लाइमेक्स तक ये कहानी हमें हैरान करती है और दर्शक जब भी फिल्म को समझने लगता हैं तो एक नया मोड़ इसमें दशकों की रूचि को फिर से बढ़ा देता हैं. फिल्म में कंगना का किरदार सबसे अधिक सशक्त नजर आता है. एक बेहतर पटकथा की यह सबसे बड़ी सफलता हैं की वह विक्रम, उदय और राजवीर जैसे मजबूत किरदार के बीच में कंगना सबसे ज्यादा शक्तिशाली बनकर सामने आती है. फिल्म का प्रचार शुरू में एक सत्य घटना पर आधारित फिल्म के तौर पर किया जाता हैं लेकिन परदे पर आप एकदम नयी कहानी देखते हैं और इस कहानी के सभी किरदार, ट्विस्ट और टर्न्स आपको चौकाने में कामयाब रहते हैं.

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