![Kahaani Rubber Band Ki Movie Review: मजेदार कहानी के साथ अहम संदेश देती है अविका गौर और प्रतीक गांधी की ये फिल्म Kahaani Rubber Band Ki Movie Review: मजेदार कहानी के साथ अहम संदेश देती है अविका गौर और प्रतीक गांधी की ये फिल्म](https://hist1.latestly.com/wp-content/uploads/2022/10/3-380x214.jpg)
फिल्म: कहानी रबर बैंड की
कास्ट: प्रतीक गांधी, अविका गौर, मनीष रायसिंघन और अरुणा ईरानी
निर्देशक: सारिका संजोत
कहानी: ये कहानी है जब नवविवाहित कपल आकाश चौधरी (मनीष रायसिंघन) और काव्या पटेल (अविका गोर) की जो सुरक्षा का उपयोग करने के बावजूद गर्भवती हो जाती हैं, जिसके कारण उनके जीवन और भविष्य की योजनाएं पानी में मिल जाती हैं. हालांकि, काव्या के साथ अपने रिश्ते को बचाने के लिए आकाश कंडोम बनाने वाली कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराता है. रास्ते में, वह भारतीय घरों में कंडोम, सेक्स और सुरक्षा से जुड़े मिथाओं के बारे में भ जनता को शिक्षित करता है.
अभिनय: मनीष रायसिंघन और अविका गोर की ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री बेहद प्यारी है. फिल्म में प्रतीक गांधी को नरेंद्र त्रिपाठी, उर्फ आकाश के सबसे अच्छे दोस्त 'नन्नो' के रूप में भी दिखाया गया है, जिन्होंने कानून की पढ़ाई की है, लेकिन अपने पिता के साथ एक मेडिकल शॉप में काम करते हैं. वो यहां अच्छा प्रदर्शन करते दिखे. उनकी भूमिका भले ही छोटी है क्योंकि कहानी का मुख्य फोकस लीड कपल और उनकी समस्याएं है. दिग्गज अदाकारा अरुणा ईरानी को लंबे समय के बाद बड़े पर्दे पर वापस देखना बेहद मनोरंजन रहा.
फाइनल टेक: "कंडोम खरीदने वाला छिछोरा नहीं जेंटलमैन होता है," यह लाइन कहानी रबर बैंड की (केआरबीके) के संदेश को स्पष्ट करती है. पहली बार निर्देशक बनी सारिका संजोत, जिन्होंने बी एस निर्मल राज के साथ फिल्म का सह-लेखन किया है, ने एक 'सामाजिक रूप से प्रासंगिक' फिल्म तैयार की है जो सही मायनों में अपने मैसेज को आगे रखती है. हालांकि, मुख्य संदेश को और अधिक समजदारी और सटीकता के साथ दिया जा सकता था. सेक्स के दौरान सुरक्षा पर चर्चा करना पाप नहीं है; हम पहले ही इस प्रकार की कई फिल्में देख चुके हैं, जैसे नुसरत की 'जनहित में जारी' और अपारशक्ति का 'हेलमेट', जो एक सामाजिक विषय पर प्रकाश डालती है. योग करने के बावजूद गर्भवती हो जाती हैं. फिल्म का पहला भाग हल्की-फुल्की मजेदार कहानी पेश करती है, लेकिन दूसरा भाग अपनी बात को रखने में बढ़ता दिखता है जहां इसकी स्टोरी खीच जाती है. यहां तक कि अदालती लड़ाई के सीन्स भी इतने मनोरंजक नहीं हैं.