Chhorii 2 Review: 'छोरी 2' में सिर्फ भूत नहीं, समाज की सोच भी डराती है, नुसरत भरूचा की दिल छू लेने वाली परफॉर्मेंस
Chhorii 2 Review (Photo Credits: Prime Video)

Chhorii 2 Review: बीते कुछ वक्त से बॉलीवुड में हॉरर-कॉमेडी का ट्रेंड काफी पॉपुलर हुआ है, लेकिन 'छोरी 2' इस भीड़ से अलग निकलती है और क्लासिक हॉरर की स्पेस में जाकर एक सस्पेंस और थ्रिल से भरी कहानी पेश करती है. डायरेक्टर विशाल फुरिया, जिन्होंने पहली ‘छोरी’ बनाई थी, इस सीक्वल में भी उसी टोन और इमोशनल डेप्थ को बरकरार रखते हैं. प्राइम वीडियो पर रिलीज़ हुई इस फिल्म में नुसरत भरूचा और सोहा अली खान जैसे कलाकार जुड़ते हैं, जो इस अनुभव को और भी दमदार बना देते हैं. Jaat Review: 'घायल' और 'घातक' की याद दिलाता सनी देओल का एंग्री अवतार, जबरदस्त एक्शन और डायलॉगबाजी

फिल्म की शुरुआत होती है राजस्थान के एक वीरान गांव में – सन्नाटा, गन्ने के खेत और लालटेन की मद्धम रोशनी के बीच एक बच्ची की चीख कहानी को जैसे जिंदा कर देती है. पहला ही दृश्य दर्शकों के रोंगटे खड़े कर देता है और तभी से फिल्म की गति और मूड दोनों सेट हो जाते हैं.

नुसरत भरूचा का किरदार साक्षी इस बार पहले से ज़्यादा स्ट्रॉन्ग, प्रोटेक्टिव और तैयार नजर आता है. कहानी वहां जाती है जहां एक बार फिर बेटियों को लेकर समाज की क्रूर मानसिकता दिखाई जाती है. जहां अगर लड़की पैदा हो, तो उसे मारने में जरा भी हिचक नहीं होती. प्रेग्नेंट साक्षी इस डर से भाग जाती है लेकिन जब उसकी बेटी गायब होती है, तो वो दोबारा उसी खौफनाक जगह लौटती है. जहां गन्ने के खेत और अंधेरे कूएं के नीचे एक तिलस्मी और डरावनी दुनिया उसका इंतज़ार कर रही होती है.

'छोरी 2' का ट्रेलर:

फिल्म में कई जगह आपको रोंगटे खड़े कर देने वाले दृश्य देखने को मिलते हैं – जैसे तहखाने में कैद आत्माओं की चीखें, जंजीरों की खड़खड़ाहट और अतीत की परछाइयां. नुसरत भरूचा ने बेहद संजीदगी और डेडिकेशन के साथ यह किरदार निभाया है – डर, गुस्सा, पीड़ा – हर भावना को उन्होंने बखूबी जिया है.

सोहा अली खान का किरदार दासी मां के रूप में एक खास पकड़ बनाता है. एक धाकड़ राजस्थानी महिला के रूप में वो बिलकुल रियल लगती हैं. वहीं सौरभ गोयल, कुलदीप सरीन, पल्लवी अजय और हार्दिका शर्मा जैसे सपोर्टिंग एक्टर्स ने भी अच्छा योगदान दिया है.

फिल्म की सबसे बड़ी ताकत इसकी स्टोरीटेलिंग है. स्क्रीनप्ले टाइट है, और हर दृश्य एक उद्देश्य के साथ जुड़ा है. सिनेमैटोग्राफी इस फिल्म को एक विज़ुअल ट्रीट बनाती है. खासकर लाइटिंग, कैमरा एंगल्स और बैकग्राउंड स्कोर इसे हॉरर के स्तर पर ऊंचा उठाते हैं. विशाल फुरिया ने डायरेक्शन में कोई कमी नहीं छोड़ी और इस बार भी साबित किया कि वह हॉरर स्पेस के मास्टर हैं.

जहां कहानी में सस्पेंस है, वहीं कुछ हिस्सों में स्क्रिप्ट और क्लाइमैक्स थोड़ा और मजबूत किया जा सकता था. हॉरर की शुरुआत जितनी जोरदार होती है, एंड उतना शार्प नहीं लगता. लेकिन ये कमज़ोरियां भी फिल्म को कमजोर नहीं बना पाती और आप आखिर तक फिल्म से बंधे रहते हैं.

‘छोरी 2’ ना सिर्फ एक हॉरर फिल्म है, बल्कि यह एक सामाजिक संदेश भी देती है. बिना प्रवचन के, एक बेहद मनोरंजक अंदाज़ में. इसमें सस्पेंस, थ्रिल, डर और इमोशन है और नुसरत भरूचा की शानदार परफॉर्मेंस इस अनुभव को और खास बनाती है. अगर आप हॉरर फिल्मों के शौकीन हैं, तो ये फिल्म आपके लिए ‘वन टाइम मस्ट वॉच’ है. फिल्म को 5 में से 3 स्टार.

Rating:3out of 5