अभिनेत्री स्वरा भास्कर (Swara Bhaskar) को सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कथित रूप से "अपमानजनक और निंदनीय" बयान देने के मामले में बड़ी राहत मिल गई है. अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ की गई उनकी टिप्पणी पर अदालत की आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने अपनी सहमति देने से इनकार कर दिया. स्वरा के खिलाफ दलील में कहा गया है कि फरवरी में मुंबई में एक सम्मेलन में पैनलिस्ट के तौर पर शामिल हुईं स्वरा ने एक बयान दिया था, जो कि "अपमानजनक और निंदनीय था, साथ ही वह न्यायपालिका और संविधान के प्रति इसकी ईमानदारी पर सवाल उठाने वाला था."
वकील अनुज सक्सेना, प्रकाश शर्मा, और महेक माहेश्वरी द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि अभिनेत्री के बयान शीर्ष अदालत की कार्यवाही और शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों की ईमानदारी को लेकर जनता के बीच अविश्वास की भावना को उकसाने का इरादा रखते हैं. बता दें कि किसी व्यक्ति के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए या तो अटॉर्नी जनरल (एजी) या सॉलिसिटर जनरल की सहमति आवश्यक है. यह भी पढ़े: Sushant Singh Rajput Death Case: रिया चक्रवर्ती के समर्थन में स्वरा भास्कर ने किया ट्वीट, कहा- उन्हें खतरनाक मीडिया ट्रायल का निशाना बनाया जा रहा है
लेकिन 21 अगस्त को अपनी 2 पेज की प्रतिक्रिया में एजी ने कहा कि एक तो अभिनेत्री द्वारा दिया गया बयान तथ्यात्मक प्रतीत होता है, साथ ही यह वक्ता की अपनी धारणा है. एजी ने आगे कहा कि टिप्पणी सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को संदर्भित करती है, ना कि संस्था पर हमला करती है. मेरी राय में यह बयान आपराधिक अवमानना का नहीं है.