देश की खबरें | महिला आदिवासी संगठन ने मणिपुर की जातीय हिंसा के खिलाफ दिल्ली में प्रदर्शन किया

नयी दिल्ली, 17 अगस्त एक आदिवासी महिला संगठन ने मणिपुर में जातीय हिंसा के खिलाफ बृहस्पतिवार को यहां जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया और कुकी-जो समुदाय के लिए एक अलग प्रशासन की मांग की।

‘उनाउ ट्राइबल वोमन्स फोरम दिल्ली एंड एनसीआर’ के नेतृत्व में, कई महिलाओं ने पूर्वोत्तर राज्य में ‘‘हाल की घटनाओं और बढ़ती हिंसा’’ की निंदा करते हुए शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया।

उन्होंने कहा कि प्रदर्शन का उद्देश्य मणिपुर में आदिवासी समुदायों की चुनौतियों का समाधान करने के वास्ते कुकी-जो जनजाति के लिए ‘‘एक अलग प्रशासन की जरूरत’’ को रेखांकित करना है।

फोरम ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि अलग प्रशासन राज्य में शांति और सद्भाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।’’

प्रदर्शन में शामिल एक सामाजिक कार्यकर्ता ग्लैडी वैफेई ने दावा किया कि यदि केंद्र उन्हें एक अलग प्रशासन प्रदान करता है तो कुकी-जो समुदाय ‘‘शांतिपूर्ण ढंग से जीवन जी’’ सकेगा।

हिंसा प्रभावित राज्य की निवासी वैफेई ने कहा, ‘‘यदि हमें एक अलग प्रशासन दिया जाता है, तो हम अपने जीवन और घरों का पुनर्निर्माण करेंगे। हमारे बच्चे स्कूल जाने लगेंगे और सामान्य जीवन जीने लगेंगे। इंफाल की ‘उड़ान निषिद्ध’ सूची में एक भी कुकी यात्री नहीं है।’’

राज्य में तीन मई को पहली बार जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 160 से अधिक लोग मारे गए हैं, और कई सौ लोग घायल हुए हैं। बहुसंख्यक मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किये जाने के दौरान यह हिंसा भड़की थी।

मणिपुर की कुल आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी नगा और कुकी समुदाय के लोगों की संख्या 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

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