नयी दिल्ली, 16 सितंबर : प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने बुधवार को कहा कि जेल में बंद महिलाओं को अक्सर ‘ गंभीर पूर्वाग्रह, लांछना और भेदभाव’ का सामना करना पड़ता है तथा पुरूष कैदियों की भांति इन महिला कैदियों का समाज में फिर से एकीकरण सुनिश्चित करने के लिए कल्याणकारी राज्य के रूप में भारत का सेवाएं प्रदान करने का दायित्व बनता है.
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नाल्सा) के प्रधान संरक्षक प्रधान न्यायाधीश उसकी एक बैठक को संबोधित कर रहे थे जिसमें नव नियुक्त सदस्यों ने हिस्सा लिया. प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ कैद की सजा काट चुकी महिलाओं को अक्सर गंभीर पूर्वाग्रह, लांछना एवं भेदभाव का सामना करना पड़ता है जिससे उनका पुनर्वास एक कठिन चुनौती बन जाता है. ’’ यह भी पढ़ें : NCRB Report: दिल्ली में 2019 की तुलना में 2020 में महिलाओं के विरूद्ध 25 फीसद कम अपराध हुए
उन्होंने कहा, ‘‘ बतौर कल्याणकारी राज्य, महिला कैदियों को ऐसे कार्यक्रम एवं सेवाएं उपलब्ध कराना हमारा दायित्व है जिससे उनका प्रभावी तरीके से पुरूषों के समान ही समाज में फिर से एकीकरण हो सके.’’ न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि समाज में महिला कैदियों के पुन: एकीकरण के लिए शिक्षा एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण में गैर भेदभावकारी पहुंच तथा गरिमामय एवं लाभकारी कार्य जैसे उपायों की जरूरत है.