ध्यान सत्ता पर था तो आदर्शों की अनदेखी हुई: राकांपा नेता जयंत पाटिल
Manoj Jarange

शिरडी, 3 जनवरी : शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख जयंत पाटिल ने बुधवार को कहा कि चूंकि पार्टी लंबे समय तक सत्ता में थी, इसलिए जिन सिद्धांतों पर इसका निर्माण किया गया था उन पर बहुत कम जोर दिया गया क्योंकि ध्यान सत्ता पर था. अहमदनगर जिले के शिरडी में राकांपा के दो दिवसीय सम्मेलन के पहले दिन पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पाटिल ने कहा कि पार्टी समाज सुधारकों छत्रपति साहू महाराज, महात्मा ज्योतिबा फुले और डॉ. बी.आर. आंबेडकर के आदर्शों पर मजबूती से टिकी हुई है.

उन्होंने कहा, “पवार साहब ने इस पार्टी को आदर्शों के आधार पर बनाया था, लेकिन चूंकि हम लंबे समय तक सत्ता में थे, इसलिए हमने आदर्शों को नजरअंदाज कर दिया और सत्ता पर ध्यान केंद्रित किया.” पाटिल ने राकांपा के अजित पवार के नेतृत्व वाले समूह पर स्पष्ट रूप से कटाक्ष करते हुए कहा, “जब हम सत्ता में थे, तो हमने आदर्शों पर ध्यान केंद्रित करने पर बहुत कम जोर दिया, यही वजह है कि कुछ लोग बिना इस पर विचार किए अलग-अलग सिद्धांतों की ओर आकर्षित हो गए.” उन्होंने कहा कि 2024 संघर्ष का वर्ष होगा और उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से इस वैचारिक लड़ाई को लड़ने का आग्रह किया. यह भी पढ़ें : कार सेवक की गिरफ्तारी कानून-व्यवस्था का मामला है, प्रतिशोध की राजनीति नहीं : शिवकुमार

शरद पवार द्वारा 1999 में स्थापित राकांपा पार्टी के गठन के बाद से 2014 तक महाराष्ट्र में सत्ता में थी. पांच साल के अंतराल के बाद, पार्टी 2019 में फिर से राज्य सरकार का हिस्सा बनी. राकांपा उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार में शामिल थी और जून 2022 में सरकार के गिरने तक उसका हिस्सा रही. राकांपा पिछले साल जुलाई में तब विभाजित हो गई थी जब पार्टी के वरिष्ठ नेता अजित पवार और पार्टी के आठ अन्य विधायक एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल हो गए थे. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भी शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल है.