देहरादून, 8 दिसंबर: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को उत्तराखंड को निवेश के लिए प्रमुख गंतव्य के तौर पर पेश करते हुए कहा कि हाल के चुनावों में जनता ने स्थिर और मजबूत सरकारों के लिए मतदान किया है. मोदी ने हाल ही में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में मिली जीत का उल्लेख करते हुए कहा, “आकांक्षी भारत अस्थिरता नहीं चाहता. आज वह एक स्थिर सरकार चाहता है.” प्रधानमंत्री यहां वन अनुसंधान संस्थान में आयोजित 'उत्तराखंड वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन' का उद्घाटन करने के बाद संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने देश की ताकत, कमजोरियों और खतरों को देखते हुए आज के भारत का एक 'स्वॉट' विश्लेषण करने का सुझाव दिया। स्वॉट विश्लेषण में किसी की ताकत, कमजोरी, अवसर एवं खतरे का आकलन किया जाता है. मोदी ने कहा, “हम हर जगह आकांक्षाएं, आशा, आत्मविश्वास, नवाचार और अवसर देखते हैं. आपकोनीति-संचालित शासन देखने को मिलेगा. ” उन्होंने कहा, “आप राजनीतिक स्थिरता के लिए देश की जनता का दृढ़ संकल्प देखेंगे.”
प्रधानमंत्री ने कहा कि ये रुझान हाल के चुनावों और पिछले साल उत्तराखंड चुनाव में देखे गए थे जहां पर लोगों ने सुशासन के लिए वोट किया. मोदी ने कहा, “उन्होंने शासन के पुराने रिकॉर्ड के आधार पर वोट दिया.” मोदी ने कहा कि उनके ‘तीसरे कार्यकाल के दौरान भारत अगले कुछ वर्षों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है.’ उन्होंने कहा, “भारतीय कंपनियों के लिए, भारतीय निवेशकों के लिए यह आदर्श समय है. भारत कुछ ही वर्षों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है. मेरे तीसरे कार्यकाल में ऐसा होना तय है.”
उन्होंने निवेशक सम्मेलन में मौजूद निवेशकों से कहा, “एक स्थिर सरकार, सहयोगी नीतियां, सुधार के जरिये परिवर्तन की प्रवृत्ति और विकास की तरफ बढ़ने का संकल्प. ऐसा संयोजन पहली बार हुआ है। यह सही समय है.” मोदी ने कहा कि दुनिया भारत की ओर आशा और सम्मान की नजर से देख रही है. उन्होंने कहा, “भारत कोविड-19 जैसी चुनौतियों पर विजय पाकर आत्मविश्वास के साथ विकास कर रहा है.”
उन्होंने कारोबारों से उत्तराखंड में निवेश करने और इसकी विकास यात्रा में भागीदार बनने का आह्वान किया. इसके साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया कि उन्हें कोई समस्या नहीं होगी. प्रधानमंत्री ने निवेशकों से आपूर्ति श्रृंखला को इस तरह मजबूत करने की अपील की कि अन्य देशों पर भारत की निर्भरता कम हो.
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