मिर्ज़ापुर (उत्तर प्रदेश), 19 मार्च उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में कथित तौर पर कोरोना वायरस का टीका लगने से लगभग 38 वर्षीय एक मजदूर की मौत के बाद शुक्रवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉक्टर पीडी गुप्ता ने कहा कि जल्द ही इस मामले की विस्तृत जांच की जाएगी।
गौरतलब है कि मजदूर की उम्र 35 वर्ष से 38 वर्ष के बीच बताई जा रही है जो फिलहाल कोविड-19 टीकाकरण की निर्धारित श्रेणियों में से किसी में नहीं आती है। सीएमओ ने कहा कि उम्र के संदर्भ में जांच की जाएगी और यह भी देखा जाएगा कि क्या उसे वास्तव में कोरोना टीका लगा या इसको लेकर कोई भ्रम है।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे पता बताया गया कि बहुती बसहिता गांव के एक मजदूर लालमणि को 15 मार्च को इंजेक्शन दिया गया था और बुधवार को वह अस्पताल के ओपीडी में कुछ समस्याओं के बारे में शिकायत करने आया जहां उसे कुछ दवाएं दी गई थी। मजदूर ओपीडी से बाहर आया और थोड़ी देर बैठा रहा और फिर उसकी मौत हो गई।’’
मृतक मजदूर की पत्नी मीरा देवी ने कहा कि लालमणि ने इंजेक्शन लगने के बाद शरीर में दर्द और सुस्ती की शिकायत की और जब उसकी हालत गंभीर हो गई तो बुधवार सुबह अस्पताल ले जाया गया। उसने कहा कि उसे वहां दवा दी गई लेकिन उसने उल्टी कर दी और उसकी मौत हो गई।
मृतक मजदूर की पत्नी ने पत्रकारों को बताया कि उसके पति की उम्र 38 साल थी और उसने दावा किया कि उसके पति को कोरोना टीका लगा था। आशा कार्यकर्ता ने कहा था कि आधार कार्ड लेकर टीका लगवाएं।
मीरा के आरोपों के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया और उसी रात रिपोर्ट भी मिल गई। रिपोर्ट में मौत के कारण के रूप में मस्तिष्क में रक्तस्राव बताया गया। मजदूर के जिगर और तिल्ली में भी सूजन थी।
सीएमओ ने पोस्टमार्टम परीक्षा रिपोर्ट पर जारी बयान में कहा कि पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों की राय थी कि मस्तिष्क में अत्यधिक रक्तस्राव की वजह से मजदूर की मौत हुई।
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