लाहौर, 15 जनवरी सिंध प्रांत के शादानी दरबार हयात पिताफी में शिव अवतारी गुरु संत शदाराम साहिब की 316वीं जयंती समारोह में भाग लेने के बाद 80 से अधिक भारतीय हिंदू तीर्थयात्री बुधवार को अपने वतन के लिए रवाना हुए।
तीर्थयात्रियों को वाघा सीमा पर ‘इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड’ (ईटीपीबी) के अधिकारियों सैफुल्लाह खोखर और उमर जावेद अवान ने विदा किया।
वाघा सीमा पर पत्रकारों से बात करते हुए भारतीय प्रतिनिधिमंडल के नेता युधिष्ठिर लाल ने आभार व्यक्त किया और कहा, "पाकिस्तान में हमें जो प्यार और आतिथ्य मिला, उसे हम हमेशा संजोकर रखेंगे।"
उन्होंने सुरक्षा, आवास और चिकित्सा सुविधाओं से संबंधित इंतजामों की सराहना की।
लाल ने दोनों देशों की सरकारों से वीजा प्रतिबंधों को कम करने का आग्रह किया ताकि दोनों तरफ के लोग आसानी से अपने पवित्र स्थलों की यात्रा कर सकें।
खोखर ने कहा कि तीर्थयात्रियों ने अपनी 10 दिवसीय यात्रा पूरी कर ली है और वे शादानी दरबार मीरपुर माथेलो और सुक्कुर के साध बेलो मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान करने के बाद लौट रहे हैं।
अपने प्रवास के दौरान तीर्थयात्रियों ने योग माता मंदिर अकीलपुर, घोटकी, पानो अकील, सुक्कुर और ऐतिहासिक साधु बेला मंदिर सहित अन्य धार्मिक स्थलों का भी दौरा किया। उन्होंने गुरु नानक देव के जन्मस्थान ननकाना साहिब में भी एक दिन बिताया।
दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग ने इस आयोजन के लिए 94 भारतीय तीर्थयात्रियों को वीजा जारी किया था, लेकिन उनमें से 84 यहां आ गए।
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