अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर बुधवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में संघर्षरत इलाकों में आर्थिक रूप से महिलाओं को सशक्त बनाने पर एक बैठक बुलायी गयी, जिसमें कई देशों के वक्ताओं ने यूक्रेन पर रूस के युद्ध और महिलाओं पर उसके असर की निंदा की।
आयरलैंड के विदेश मंत्री ने यूक्रेन की महिलाओं की सहनशीलता और साहस की प्रशंसा की। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के राजदूत ने अपने घरों और देश की रक्षा करने में उनकी वीरता को सराहा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रमुख ने यूक्रेन में ‘‘बहनों’’ से कहा, ‘‘हम आपके साहस की सराहना करते हैं, हम आपका दुख बांटते हैं, हम आपके साथ खड़े हैं।’’
रूस के उप राजदूत गेनाडी कुजमिन ने उनके देश पर लगाए प्रतिबंधों का विरोध करते हुए कहा कि इससे ‘‘सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में सबसे पहले महिलाओं के हितों पर असर पड़ा है।’’
उन्होंने पश्चिमी देशों पर ‘‘दोनेत्स्क और लुहांस्क में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ कीव की सेना द्वारा की गयी हत्याओं और यूक्रेन के कट्टरपंथियों और पूर्वी एवं दक्षिणपूर्वी यूक्रेन में नव-नाजियों द्वारा उनके उत्पीड़न’’ पर आठ वर्षों तक उदासीन रहने का आरोप लगाया।
वहीं, संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन के दूतावास में उच्च पदस्थ महिला नतालिया मुदरेंको ने रूस पर नागरिकों को ‘‘बंधक’’ बनाने का आरोप लगाया और कहा कि मारियुपोल और अन्य शहरों में ‘‘गंभीर हालात’’ विश्व नेताओं और मानवीय एवं चिकित्सीय संगठन द्वारा तत्काल कार्रवाई करने की मांग करते हैं।
उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि नागरिकों, ज्यादातर महिलाओं और बच्चों को ‘‘निकलने नहीं दिया जा रहा और मानवीय सहायता पहुंचने नहीं दी जा रही।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर वे भागने की कोशिश करते हैं तो रूसी उन पर गोलियां चलाते हैं और उनकी हत्या करते हैं। उनके पास भोजन और पानी की कमी हो रही है और वे मर रहे हैं।’’
मुदरेंको ने रूस पर मानवीय गलियारों की सभी व्यवस्थाओं को कमतर करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि युद्ध ने यूक्रेन की महिलाओं की अपने देश की रक्षा करने में भूमिका को सामने ला दिया है। सेना में 2021 की शुरुआत में 57,000 महिलाएं थीं और रक्षा मंत्री के अनुसार, रूस के आक्रमण करने के बाद यह संख्या ‘‘अच्छी-खासी बढ़ी’’ है।
संयुक्त राष्ट्र महिला प्रमुख सिमा बाहूस ने परिषद में कहा कि यूक्रेन की ‘‘मानवीय आवश्यकता कई गुना बढ़ रही है’’ और देश छोड़कर भाग रहे ज्यादातर लोगों में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।
अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा, ‘‘रूस के बिना उकसावे के और अनुचित युद्ध ने महिलाओं को अकल्पनीय विकल्प चुनने के लिए विवश कर दिया है। वे या तो हिंसा के खतरे के कारण अपने घरों को छोड़ने के लिए विवश हैं या वे अपने समुदायों, परिवारों और प्रियजन का समर्थन करती रहे।’’
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