तिरुवनंतपुरम, 11 जुलाई केरल में विपक्षी कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने बृहस्पतिवार को विधानसभा में कहा कि राज्य छोड़कर विदेश जाने वाले विद्यार्थियों की संख्या में वृद्धि एक खतरनाक चलन है और अगर इसे रोका नहीं गया तो आने वाले दिनों में इस दक्षिणी राज्य में बुजुर्गों की संख्या बढ़ती चली जाएगी।
वाम सरकार ने हालांकि इस टिप्पणी को खारिज करते हुए कहा कि यह एक आम धारणा है, जो सिर्फ केरल तक ही सीमित नहीं है।
यूडीएफ ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित करने की मांग करते हुए यह मुद्दा उठाया। विधानसभा अध्यक्ष ने कार्यवाही को स्थगित करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। राज्य सरकार ने सदन में कहा कि विद्यार्थियों का विदेश जाना एक सामान्य प्रवृत्ति और वैश्वीकरण का परिणाम है।
कार्यवाही को स्थगित करने के प्रस्ताव को अनुमति नहीं मिलने के बाद विपक्ष ने यह आरोप लगाते हुए सदन से बहिर्गमन कर दिया कि सरकार व राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री चर्चा के पक्ष में नहीं हैं और विद्यार्थियों के राज्य छोड़ने से होने वाले खतरे को स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
राज्य उच्च शिक्षा मंत्री आर. बिंदु ने दावा किया कि वैश्वीकरण के बाद विद्यार्थियों का राज्य को छोड़कर चले जाना एक सामान्य प्रवृत्ति बन गया है और यह चीज सिर्फ केरल तक ही सीमित नहीं है।
बिंदु ने कहा, “केरल उन राज्यों में से एक है, जहां बाहर जाने वाले विद्यार्थियों की संख्या सबसे कम है।”
उन्होंने कहा कि विद्यार्थी इसलिए विदेशों का रुख करते हैं क्योंकि वह वहां पढ़ाई करते हुए काम कर सकते हैं और इसका एक कारण यह भी है कि कम जनसंख्या वाले देशों में वीजा मानदंडों में ढील दी गई है।
उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को हल करने के लिए राज्य सरकार ने पढ़ाई करते हुए कमाई की कई योजनाएं शुरू की हैं।
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