ओटावा, 22 अक्टूबर : एअर इंडिया कनिष्क आतंकवादी बम विस्फोट मामले में बरी किए गए रिपुदमन सिंह मलिक की हत्या के दो आरोपियों ने कनाडा की एक अदालत में हत्या का दोष स्वीकार कर लिया है. मीडिया में आयी खबरों में यह जानकारी दी गयी है. टैनर फॉक्स और जोस लोपेज ने 75 वर्षीय मलिक की हत्या के मामले की सुनवाई की पूर्व संध्या पर सोमवार को ब्रिटिश कोलंबिया (बीसी) की उच्चतम न्यायालय में अपना दोष स्वीकार किया. मलिक की 14 जुलाई 2022 को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. मलिक और सह-आरोपी अजायब सिंह बागरी को 1985 में हुए दो बम विस्फोटों से संबंधित सामूहिक हत्या और साजिश के आरोपों से 2005 में बरी कर दिया गया था. इन विस्फोटों में 331 लोग मारे गए थे.
‘ग्लोबल न्यूज’ की खबर के अनुसार, सोमवार को न्यू वेस्टमिंस्टर की अदालत में फॉक्स और लोपेज ने ‘सेकंड-डिग्री’ हत्या के दोष को स्वीकार कर लिया. खबर में कहा गया है कि अदालत ने तथ्यों पर एक सहमत बयान को सुना जिससे पता चलता है कि मलिक की हत्या के लिए दोनों व्यक्तियों को सुपारी दी गई थी. लोपेज की वकील ग्लोरिया एनजी ने ‘ग्लोबल न्यूज़’ को बताया, ‘‘हमें सहमति से तैयार किए गए तथ्यों से पता चलता है कि इस अपराध को अंजाम देने के लिए वित्तीय प्रलोभन दिया गया था.’’ यह भी पढ़ें : Bulandshahar Blast: ऑक्सीजन सिलेंडर फटने की घटना में मारे गए लोगों की संख्या बढ़कर 6 हुई
वर्ष 1985 में एअर इंडिया के विमान में बम विस्फोट कनाडा के इतिहास और एयरलाइन के इतिहास में सबसे भयानक आतंकवादी हमलों में से एक है. 23 जून, 1985 को एअर इंडिया की उड़ान संख्या 182 में 268 कनाडाई नागरिक और 24 भारतीय नागरिक सहित 329 लोग सवार थे. इस विमान ने टोरंटो से उड़ान भरी और मॉन्ट्रियल में रुका, जहां से यह लंदन और फिर अपने अंतिम गंतव्य मुंबई के लिए रवाना हुआ.विमान अटलांटिक महासागर पर 31,000 फुट ऊपर उड़ रहा था, जब विमान में रखे एक सूटकेस में बम फट गया, जिससे विमान में सवार सभी लोग मारे गए.