देश की खबरें | ट्विटर ने एकल न्यायाधीश के आदेश को कर्नाटक उच्च न्यायालय में चुनौती दी

बेंगलुरु, दो अगस्त माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर (अब एक्स कॉर्प) ने एकल न्यायाधीश पीठ के पहले के आदेश के खिलाफ कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।

कंपनी ने सामग्री (कंटेंट) हटाने और ब्लॉक करने संबंधी इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के विभिन्न आदेशों को चुनौती दी थी, जिसे एकल न्यायाधीश ने खारिज कर दिया था।

न्यायमूर्ति कृष्ण एस. दीक्षित की एकल पीठ ने 30 जून के अपने आदेश में ट्विटर कंपनी पर 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था और इसे 45 दिन के भीतर कर्नाटक राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराने का आदेश दिया था।

ट्विटर द्वारा दायर याचिका पर उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई होगी।

ट्विटर का मुख्य तर्क यह था कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने खाताधारकों को नोटिस जारी किए बिना सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69ए के तहत खातों को ‘ब्लॉक’ करने के आदेश जारी किए थे।

एक अगस्त को दायर की गई अपील अभी उच्च न्यायालय में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं हुई है।

अपील में 50 लाख रुपये के जुर्माने को “अन्यायपूर्ण और अत्यधिक” बताते हुए चुनौती दी गई है और इसे निलंबित रखने की अंतरिम राहत मांगी गई है।

एकल न्यायाधीश की पीठ ने ट्विटर को 14 अगस्त तक जुर्माना भरने का आदेश दिया था। आदेश में यह भी निर्दिष्ट किया गया था कि यदि ट्विटर अनुपालन करने में विफल रहता है, तो उस पर प्रतिदिन 5,000 रुपये का अतिरिक्त जुर्माना लगाया जाएगा।

ट्विटर ने दो फरवरी, 2021 से 28 फरवरी, 2022 के बीच मंत्रालय द्वारा जारी दस अलग-अलग आदेशों को चुनौती दी थी। ट्विटर ने पहले दावा किया था कि सरकार ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट को 1,474 एकाउंट, 175 ट्वीट, 256 यूआरएल और एक हैशटैग को ‘ब्लॉक’ करने का निर्देश दिया है, लेकिन उसने इनमें से केवल 39 यूआरएल से संबंधित आदेशों को ही चुनौती दी थी।

उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश वाली पीठ ने आठ प्रश्न तय किए थे और केवल याचिका दायर करने के अधिकार क्षेत्र के प्रश्न का उत्तर ट्विटर के पक्ष में दिया गया था।

अदालत ने ट्विटर की सभी दलीलों को खारिज कर दिया था और उस पर जुर्माना लगाया था।

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