चेन्नई, 17 जुलाई : मद्रास उच्च न्यायालय ने 2018 में स्टरलाइट विरोधी प्रदर्शनकारियों पर तूतीकोरिन पुलिस की गोलीबारी में 13 लोगों की मौत से संबंधित मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के जांच के तरीके को लेकर नाराजगी जाहिर की है. अदालत ने कहा कि जांच सही तरीके से नहीं हुई और “हमें लगता है कि पुलिस की गोलीबारी पूर्व नियोजित थी, जो एक उद्योगपति के इशारे पर की गई थी.”
न्यायमूर्ति एस एस सुंदर और न्यायमूर्ति सेंथिल कुमार राममूर्ति की पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता हेनरी तिफांगने की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाल में यह बात कही. याचिका में मामले की जांच दोबारा शुरू करने का अनुरोध किया गया है, जो राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने बंद कर दी थी. यह भी पढ़ें : अरुणाचल प्रदेश में पनबिजली परियोजनाओं का विरोध क्यों
पीठ ने राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (डीवीएसी) को भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों समेत उन सभी अधिकारियों की संपत्ति की पड़ताल कराने का भी निर्देश दिया, जो घटना के समय तूतीकोरिन जिले में तैनात थे.
मई 2018 में तमिलनाडु के तूतीकोरिन जिले में पुलिस ने स्टरलाइट विरोधी प्रदर्शन के हिंसक होने के बाद प्रदर्शनकारियों पर गोली चला दी थी, जिसके कारण 13 लोगों की जान चली गई थी. प्रदर्शनकारी प्रदूषण संबंधी चिताओं के कारण कॉपर स्मेलटर इकाई को बंद करने की मांग कर रहे थे.