सईद के पहले कार्यकाल में उनके विरोधियों को जेल में डाल दिया गया था और देश की संस्थाओं में फेरबदल किया गया था, ताकि उन्हें अधिक अधिकार दिए जा सकें।
उत्तर अफ्रीकी देश के स्वतंत्र चुनाव उच्च प्राधिकार ने कहा कि सईद को 90.7 प्रतिशत वोट मिले हैं, जबकि एक दिन पहले जारी, चुनाव बाद के सर्वेक्षण ‘एग्जिट पोल’ में उन्हें देश में भारी बढ़त हासिल होती दिखाई गई थी।
ट्यूनिशिया को एक दशक से भी अधिक समय पहले ‘अरब विद्रोह’ का जन्मस्थान माना जाता था।
सईद (66) ने अपने चुनाव प्रचार अभियान के मुख्यालय में कहा, ‘‘हम देश से सभी भ्रष्ट और षड्यंत्रकारियों का सफाया कर देंगे।’’ उन्होंने विदेशी और घरेलू खतरों से ट्यूनीशिया की रक्षा करने का संकल्प जताया।
जेल में बंद उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी - व्यवसायी अयाची लम्मेल को 7.4 प्रतिशत वोट मिले हैं। चुनाव-संबंधी अपराधों के लिए कई मामलों में सजा भुगत रहे लम्मेल चुनाव प्रचार अभियान के दौरान अधिकतर समय जेल में रहे थे।
शुक्रवार को सईद के खिलाफ प्रदर्शन और रविवार को जश्न के सिवाय सप्ताहांत में ट्यूनीशिया में चुनाव के कोई संकेत नहीं थे।
विदेश मामलों पर यूरोपीय परिषद के वरिष्ठ नीति फेलो तारेक मेगेरिसी ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘इन चुनावों से वह सशक्त होने के बजाय कमजोर होकर फिर से पदभार संभालेंगे।’’
सईद के आलोचकों ने उनके शासन का विरोध जारी रखने का संकल्प जताया है।
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