No-Confidence Motion Against Modi Govt: मणिपुर मुद्दे पर आर-पार की लड़ाई की मूड में विपक्ष, मोदी सरकार के खिलाफ लोकसभा में आज लाएगा अविश्वास प्रस्ताव
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No-Confidence Motion Against Modi Govt: विपक्षी दलों का प्रस्तावित अविश्वास प्रस्ताव संख्याबल के लिहाज से विफल होना तय है लेकिन उनकी दलील है कि वे चर्चा के दौरान मणिपुर मुद्दे पर सरकर को घेरकर अवधारणा बनाने की लड़ाई जीत जाएंगे. विपक्षी दलों ने दलील दी कि यह मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संसद में बोलने के लिए विवश करने की रणनीति भी है. सरकार इस बात पर जोर दे रही है कि मणिपुर की स्थिति पर चर्चा का जवाब केवल केंद्रीय गृह मंत्री देंगे.

अविश्वास प्रस्ताव का भविष्य पहले से तय है क्योंकि संख्याबल स्पष्ट रूप से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पक्ष में है और विपक्षी समूह के निचले सदन में 150 से कम सदस्य हैं. सूत्रों ने बताया कि मणिपुर हिंसा के मुद्दे को लेकर संसद में जारी गतिरोध के बीच विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दल बुधवार को लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे सकते हैं. हालांकि सदन में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने स्पष्ट रूप से जानकारी देते हुए बताया कि मोदी सरकार के खिलाफ बुधवार को लोकसभा में विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाएगा. यह भी पढ़े: Manipur Issue: अमित शाह ने मल्लिकार्जुन खरगे और अधीर रंजन चौधरी को लिखा पत्र, मणिपुर पर चर्चा के लिए मांगा सहयोग

बहरहाल, यह अध्यक्ष पर निर्भर करता है कि वह सदन में नोटिस पर कब चर्चा कराते हैं. सूत्रों ने बताया कि मणिपुर के मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर संसद के भीतर बयान देने का दबाव बनाने के कई विकल्पों पर विचार करने के बाद यह फैसला किया गया कि अविश्वास प्रस्ताव ही सबसे कारगर रास्ता होगा, जिसके जरिये सरकार को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए विवश किया जा सकेगा.

जानें क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव:

संसदीय प्रणाली में नियम 198 के तहत यह व्यवस्था दी गई है कोई भी सांसद सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस लोकसभा अध्यक्ष के दे सकता है. ठीक ऐसी ही व्यवस्था राज्यों में मामले में विधानसभा में की गई है. केंद्र या राज्य सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास होने का मतलब है कि अब मंत्री परिषद ने सदन में अपना विश्वास खो दिया है. सदन में बहुमत उसके पक्ष में नहीं है. ऐसी स्थिति में सरकार गिर जाती है. प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री समेत पूरी कैबिनेट को इस्तीफा देना पड़ता है.

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