क्लीवलैंड (अमेरिका), 31 दिसंबर : (द कन्वरसेशन) घरेलू हिंसा से पीड़ित लोगों के लिए समर्थन महत्वपूर्ण है, लेकिन घरेलू हिंसा को हमेशा के लिए समाप्त करने के वास्ते समाज को उन लोगों को समझने की जरूरत है जो इसे अंजाम देते हैं.
अमेरिका में घरेलू हिंसा की घटनाएं बहुत आम हैं. अमेरिका में महिलाओं और पुरुषों में से लगभग आधे लोगों को अपने जीवनकाल के दौरान यौन या शारीरिक हिंसा, पीछा करने (स्टॉकिंग) या मनोवैज्ञानिक दबाव का सामना करना पड़ता है.
अमेरिकी लोगों के बीच घरेलू हिंसा की घटनाएं अब आम हो गई हैं। युवा लोग सबसे अधिक असुरक्षित हैं, लगभग तीन-चौथाई पीड़ित महिलाओं का कहना है कि उन्हें घरेलू हिंसा का सामना 25 वर्ष की आयु से पहले करना पड़ा था. मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता हूं, जिसने पिछले 10 साल यह अध्ययन करते हुए बिताए हैं कि कैसे पुरुष अपने साथियों के खिलाफ हिंसा का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि उनकी हिंसा का प्रभाव अकसर सबसे गंभीर होता है. मेरे शोध में पाया गया है कि घरेलू हिंसा को रोकने के लिए दो आशाजनक दृष्टिकोण हैं.
घरेलू हिंसा की जड़ें:
सबसे पहले हिंसा को रोकने के लिए यह समझना आवश्यक है कि कोई व्यक्ति हिंसा कैसे करता है. बचपन के कुछ अनुभव लोगों को भविष्य में घरेलू हिंसा करने के खतरे में डाल सकते हैं. शोधकर्ताओं ने पाया है कि बाल दुर्व्यवहार, उपेक्षा और माता-पिता और बच्चे के बीच बेहतर संबंध न होना महत्वपूर्ण जोखिम कारक हैं जो किसी को बाद में घरेलू हिंसा की ओर धकेल सकते हैं. बचपन में कोई सदमा लगने से मानसिकता में बदलाव आ सकता है.
शरीर तनाव पर कैसे प्रतिक्रिया करता है और क्या कोई दुनिया को खतरनाक और नुकसानदायक स्थान के रूप में देखता है. इन शारीरिक बदलावों से बच्चों के अपने जीवनकाल में अवसाद से ग्रस्त होने की आशंका हो जाती है और वे शराब या मादक पदार्थों के आदी भी हो सकते हैं तथा इससे घरेलू हिंसा की घटनाएं होने का खतरा बढ़ जाता है. हालांकि, यह जरूरी नहीं है जिन लोगों ने बचपन में किसी सदमे या आघात का सामना किया है वे घरेलू हिंसा की घटनाओं में शामिल होंगे.
अध्ययनों से पता चलता है कि अभिभावकों और बच्चों के बीच बेहतर संबंध और बचपन के दौरान सुरक्षित माहौल मिलने से उनके गलत राह पर जाने और हिंसा में शामिल होने की आशंका कम हो जाती है. बचपन के दिनों में सकारात्मक अनुभव और माता-पिता तथा बच्चों के बीच आपसी संवाद से उनके उग्र होने से बचा सकता है. विस्कॉन्सिन में छह हजार से अधिक वयस्कों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों को बचपन में मानसिक आघात का सामना नहीं करना पड़ा है, उनमें अन्य लोगों की तुलना में अवसाद से ग्रस्त होने की आशंका 50 प्रतिशत कम थी.
घरेलू हिंसा को रोकने के लिए शोध-आधारित प्रयासों की आवश्यकता है. शोधकर्ता वयस्कों में सामाजिक अलगाव के खतरों पर अधिक ध्यान दे रहे हैं. यह खतरा कोविड-19 महामारी और सोशल मीडिया से उत्पन्न सांस्कृतिक बदलावों के कारण और बढ़ गया है.
द कन्वरसेशन
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