नयी दिल्ली, 30 अगस्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को स्टार्ट-अप एवं नए उद्यमियों से खिलौना उद्योग से बड़े पैमाने पर जुड़ने के साथ-साथ भारत में और भारत के ‘‘कंप्यूटर गेम्स’’ बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान में इन क्षेत्रों को बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।
आकाशवाणी पर मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 68वीं कड़ी में प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व खिलौना उद्योग सात लाख करोड़ रुपये से भी अधिक का है लेकिन इसमें भारत की हिस्सेदारी बहुत कम है। इसी तरह कंप्यूटर गेम्स के मामले में भी बाहरी ताकतों का प्रभुत्व बना हुआ है।
स्थानीय खिलौनों की समृद्ध भारतीय परंपरा की विस्तृत चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘इसके बावजूद सात लाख करोड़ रुपये के विश्व खिलौना कारोबार में भारत का हिस्सा बहुत कम है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अब सभी के लोकल खिलौनों के लिए वोकल होने का समय है। आइए, हम अपने युवाओं के लिए कुछ नए प्रकार के, अच्छी गुणवत्ता वाले खिलौने बनाते हैं। खिलौना वो हो जिसकी मौजूदगी में बचपन खिले भी, खिलखिलाए भी। हम ऐसे खिलौने बनाएं, जो पर्यावरण के भी अनुकूल हों।’’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘खिलौनों के साथ हम दो चीजें कर सकते हैं। अपने गौरवशाली अतीत को अपने जीवन में फिर से उतार सकते हैं और अपने स्वर्णिम भविष्य को भी संवार सकते हैं।’’
मोदी ने बच्चों और युवाओं में कंप्यूटर गेम्स के बढ़ते प्रचलन की चर्चा करते हुए कहा कि आज इस प्रकार के जितने भी गेम्स होते हैं, उनका मजमून अधिकतर बाहरी होता है जबकि देश में ऐसे विचारों का समृद्ध इतिहास रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं देश की युवा प्रतिभा से कहता हूं कि आप भारत में भी गेम्स बनाइए और भारत के भी गेम्स बनाइए। कहा भी जाता है ...तो चलो, खेल शुरू करते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आत्मनिर्भर भारत अभियान में डिजिटल गेम्स हों या खिलौने का क्षेत्र, सबने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है और ये अवसर भी है।’’
मोदी ने कहा कि आज से 100 वर्ष पहले जब असहयोग आंदोलन शुरू हुआ तो गांधी जी ने कहा था कि यह आंदोलन देशवासियों में आत्मसम्मान और अपनी शक्ति का बोध कराने का एक प्रयास है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आज जब हम देश को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रहे हैं तो हमें पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ना है। हर क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाना है। असहयोग आंदोलन के रूप में जो बीज बोया गया था, उसे अब आत्मनिर्भर भारत के वट वृक्ष में परिवर्तित करना हम सबका दायित्व है।’’
उल्लेखनीय है कि खिलौने और कंप्यूटर गेमिंग की दुनिया में चीन एक बड़ा बाजार है। गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प के बाद भारत ने इस साल जून में टिकटॉक, यूसी ब्राउजर, वेइबो, बायडु मैप और बायडु ट्रांसलेट समेत चीन के 59 ऐप पर रोक लगा दी थी। इसके बाद जुलाई में ऐसे 47 अन्य ऐप पर भी रोक लगा दी गई थी, जो सामान्यत: जून में प्रतिबंधित ऐप के क्लोन हैं या समान कंपनी के हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नवाचार और समाधान देने में भारत का कोई मुकाबला नहीं है और जब इसमें समर्पण तथा संवेदना का भाव जुड़ जाता है तो यह शक्ति असीम बन जाती है।
इस महीने की शुरुआत में युवाओं के लिए आयोजित ‘‘एप इनोवेशन चैलेंज’’ का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसमें करीब 7,000 प्रविष्टियां आईं जिसमें दो तिहाई द्वितीय और तृतीय श्रेणी के शहरों से थीं।
उन्होंने कहा, ‘‘ये आत्मनिर्भर भारत के लिए, देश के भविष्य के लिए, बहुत ही शुभ संकेत है। काफी जांच-परख के बाद, अलग-अलग श्रेणियों में, लगभग दो दर्जन ऐप को पुरस्कार भी दिए गए।’’
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि कोरोना जैसी महामारी से पैदा हुई असाधारण परिस्थितियों के बावजूद देश में खरीफ की फसल की बुवाई पिछले साल के मुकाबले सात फीसद ज्यादा हुई है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे किसानों ने कोरोना की इस कठिन परिस्थिति में भी अपनी ताकत को साबित किया है। हमारे देश में इस बार खरीफ की फसल की बुवाई पिछले साल के मुकाबले सात प्रतिशत ज्यादा हुई है।’’
देश के किसानों को बधाई देने और उनके परिश्रम को नमन करते हुए मोदी ने कहा कि धान की रोपाई इस बार लगभग 10 प्रतिशत, दालें लगभग पांच प्रतिशत, मोटे अनाज लगभग तीन प्रतिशत, तिलहन लगभग 13 प्रतिशत और कपास की लगभग तीन प्रतिशत ज्यादा बुवाई की गई है।
कोरोना संक्रमण काल में पर्व व त्योहारों के मौकों पर लोगों द्वारा संयम और सादगी बरते जाने को प्रधानमंत्री ने अभूतपूर्व बताया और कहा कि संकट काल में नागरिकों में अपने दायित्व का एहसास भी है। लोग अपना ध्यान रखते हुए, दूसरों का ध्यान रखते हुए, अपने रोजमर्रा के काम भी कर रहे हैं।
मोदी ने देश की सुरक्षा संबंधी विभिन्न अभियानों में श्वान दल(डॉग स्क्वॉड) की भूमिका की सराहना की और कहा कि ये देश के लिये जीते हैं और देश के लिये अपना बलिदान भी देते हैं। कितने ही बम धमाकों को, कितनी ही आंतकी साजिशों को रोकने में ऐसे श्वानों ने भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा कि भारतीय प्रजाति के श्वान भी बहुत अच्छे और बहुत सक्षम होते हैं और सुरक्षा एजेंसियां अब देसी प्रजाति के श्वान को अपने सुरक्षा दस्ते में शामिल कर रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘आत्मनिर्भर भारत, जब जन-मन का मन्त्र बन ही रहा है, तो कोई भी क्षेत्र इससे पीछे कैसे छूट सकता है।’’
कोरोना संक्रमण के बीच शिक्षकों और छात्रों की भूमिका की सराहना करते हुए मोदी ने कहा कि दोनों मिलकर कुछ नया कर रहे हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि जिस तरह देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिये एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है, शिक्षक उसका भी लाभ छात्रों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभायेंगे।
उन्होंने शिक्षकों से आग्रह किया कि वे शिक्षक दिवस के मौके पर छात्रों को देश के लिए लिए खुद को खपा देने वाले ऐसे नाम जो समय के साथ विस्मृत हो गए है, को विभिन्न माध्यमों से सामने लाने के लिए प्रेरित करें।
पोषण के विभिन्न पहलुओं की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पूरे देश में सितम्बर महीने को पोषण माह के रूप में मनाया जाएगा। उन्होंने लोगों से इस आंदोलन को जनभागीदारी का स्वरूप देने की अपील की।
उन्होंने बताया कि एक “भारतीय कृषि कोष’ तैयार किया जा रहा है, जिसमें हर एक जिले की फसलों और उनकी पोषक क्षमताओं की पूरी जानकारी होग।
उन्होंने कहा, ‘‘ये आप सबके लिए बहुत बड़े काम का कोष हो सकता है। आइये, पोषण माह में पौष्टिक खाने और स्वस्थ रहने के लिए हम सभी को प्रेरित करें।
उन्होंने एक बार फिर देशवासियों से कोरोना महामारी से जंग में समर्थन मांगा और कहा कोरोना तभी हारेगा जब आप सुरक्षित रहेंगे, जब आप “दो गज की दूरी, मास्क जरूरी”, इस संकल्प का पूरी तरह से पालन करेंगे।
ब्रजेन्द्र
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