नयी दिल्ली, छह जनवरी उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली सरकार के प्रधान सचिव (गृह) अश्विनी कुमार को दिल्ली वक्फ बोर्ड का प्रशासक नियुक्त करने के खिलाफ दायर याचिका पर सोमवार को सुनवाई से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने याचिकाकर्ता को दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख करने को कहा।
शीर्ष अदालत में याचिका जमीर अहमद जुमलाना द्वारा दायर की गई थी, जिसमें कुमार को दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रशासक के रूप में कार्य करने से रोकने और तत्काल प्रभाव से पद छोड़ने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।
उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने कुमार की नियुक्ति को मंजूरी दी थी। उन्होंने 3 जनवरी को आईएएस अधिकारी अजीमुल हक की दिल्ली वक्फ बोर्ड के सीईओ के रूप में नियुक्ति को भी मंजूरी दी थी।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि दिल्ली राज्य वक्फ बोर्ड का कार्यकाल 26 अगस्त, 2023 को समाप्त हो गया है और तब से कोई बोर्ड गठित नहीं किया गया है। याचिका में कहा गया है कि बोर्ड की अनुपस्थिति में, उपराज्यपाल ने वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 99 के तहत शक्तियों का उपयोग करते हुए कुमार को नियुक्त करके इसकी शक्तियों को अपने हाथ में ले लिया।
इसमें कहा गया है, ‘‘जब बोर्ड का कार्यकाल 26 अगस्त, 2023 को समाप्त हो गया है, तो बोर्ड को अपने नियंत्रण में लेने के लिए वक्फ अधिनियम 1995 की धारा 99 के तहत राज्य सरकार की किसी भी शक्ति के प्रयोग का कोई सवाल ही नहीं उठता है। इस प्रकार, प्रतिवादी संख्या एक दिल्ली राज्य वक्फ बोर्ड की शक्ति हड़पने वाला है।’’
याचिका के अनुसार, कुमार वक्फ अधिनियम 1995 के तहत योग्य नहीं थे और इस तथ्य का फायदा उठाया गया कि प्रतिवादियों की लापरवाही के कारण दिल्ली वक्फ बोर्ड अनिश्चित काल के लिए स्थगन की स्थिति में है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 28 मई को, यास्मीन अली द्वारा दायर एक ऐसी ही याचिका को खारिज कर दिया और 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया।
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