प्रवासी कामगारों की बुनियादी जरूरतें पूरी हों, यह सुनिश्चित किया जाए : बंबई उच्च न्यायालय

मुंबई, आठ अप्रैल बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को महाराष्ट्र सरकार और जिला विधिक सेवा अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे पता लगाएं कि कोविड-19 के दौरान प्रवासी कामगारों और दिहाड़ी मजदूरों की बुनियादी जरूरतें पूरी हो रही हैं या नहीं।

न्यायमूर्ति ए ए सैयद ने गैर सरकारी संगठन सर्वहारा जन आंदोलन की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया। संगठन ने याचिका में राज्य में लॉकडाउन से बुरी तरह प्रभावित प्रवासी कामगारों और कमजोर लोगों को राहत पहुंचाने की मांग की है।

राज्य सरकार ने बुधवार को अदालत को बताया कि वह प्रवासी कामगारों और दिहाड़ी मजदूरों को भोजन, आश्रय, दवाएं और अन्य बुनियादी सुविधाएं मुहैया करा रही है।

सरकार की ओर से दलील देते हुए पी काकड़े ने कहा कि सरकार ने राज्य में लगभग चार हजार राहत केन्द्र शुरू किये हैं, जहां प्रभावित लोगों को भोजन और अन्य आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।

इसके बाद न्यायमूर्ति सैयद ने राज्य सरकार और जिला स्तर के विधिक सेवा अधिकारियों को इसका पता लगाने और संबंधित सरकारी मशीनरी को यह बताने के लिये कहा है कि क्या कुछ और किये जाने की जरूरत है।

मामले पर अगली सुनवाई 15 अप्रैल को होगी।

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