देश की खबरें | त्रिशूर में हाथियों के बिना किया गया 'त्रिशूर पूरम' उत्सव का आयोजन, अदालत के फैसले का किया विरोध

त्रिशूर (केरल), 16 नवंबर केरल उच्च न्यायालय द्वारा उत्सवों या अन्य कार्यक्रमों में हाथियों की परेड की अनुमति देने के लिए शर्तें निर्धारित करने के कुछ दिन बाद उत्सव प्रेमियों के एक समूह ने शनिवार को त्रिशूर में हाथी के बिना ही ‘त्रिशूर पूरम’ उत्सव मनाकर प्रदर्शन किया।

यह प्रदर्शन प्रसिद्ध वडक्कुनाथन मंदिर के सामने किया गया। यह मंदिर प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले प्रतिष्ठित त्रिशूर पूरम उत्सव का स्थल है।

हाथियों की परेड के स्थान पर प्रदर्शनकारियों ने अपने हाथों में 'नेट्टीपट्टम' (वस्त्र) और 'वेंचामारम' (सजावटी गोलाकार पंखा) थामे मंदिर के दक्षिणी प्रवेश द्वार पर खड़े होकर प्रदर्शन किया।

प्रदर्शन का आयोजन करने वाले पूरम प्रशंसकों के संगठन 'पूरा प्रेमी संघम' ने कहा कि यह अदालत और सरकार को यह समझाने के लिए था कि कि पारंपरिक अनुष्ठानों और प्रथाओं को बिना किसी अड़चन के जारी रखने की आवश्यकता है।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री वी एस सुनील कुमार ने राज्य और केंद्र सरकार से इस मामले पर गौर करने की अपील की।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "राज्य सरकार को उच्च न्यायालय के हालिया फैसले में उल्लिखित स्थितियों से व्यावहारिक रूप से निपटने के लिए नया कानून लाने की संभावना पर विचार करना चाहिए।"

प्रदर्शन में भाग लेने वाले उत्सव प्रेमियों ने इस बात को लेकर चिंता जताई कि उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित नई शर्तों के कारण राज्य के कई प्रसिद्ध मंदिरों में लोग त्योहार अब पहले की तरह नहीं मना पाएंगे।

केरल उच्च न्यायालय ने बुधवार को त्योहारों या अन्य आयोजनों में हाथियों की परेड की अनुमति देने के लिए पालन की जाने वाली शर्तें निर्धारित कीं।

अदालत ने कहा कि केरल में धार्मिक उत्सवों में बंदी हाथियों का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है और इसे परंपरा तथा धार्मिक प्रथा की कसौटी पर उचित ठहराने का प्रयास किया जा रहा है।

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