रूसी बलों ने बंदरगाह शहर मारियुपोल में अपना घेरा कस दिया है। शनिवार को इस इलाके में भारी गोलीबारी के कारण प्रमुख इस्पात संयंत्र बंद कर दिया गया और स्थानीय अधिकारियों ने पश्चिम से और मदद की अपील की है।
मारियुपोल के पुलिस अधिकारी मिखाइल वेर्शनिन ने मलबे से ढकी एक सड़क पर बनाए गए वीडियो में कहा,‘‘ बच्चे,बुजुर्ग मर रहे हैं। शहर तबाह हो गया है और धरती के नक्शे से मिट गया है।’’
शहर परिषद ने दावा किया कि रूसी सैनिकों ने शहर के हजारों लोगों को रूस में बसने के लिए मजूबर किया है।
परिषद ने एक बयान में कहा,‘‘ कब्जा करने वाले लोगों पर यूक्रेन छोड़ने और रूसी क्षेत्र में जाने का दबाव बना रहे हैं। ’’
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रूस-यूक्रन युद्ध से जुड़े अहम घटनाक्रम
यूक्रेन के नेताओं ने आगाह किया कि रूस को पीढ़ियों तक इस युद्ध की कीमत चुकानी पड़ेगी।
रूस को आक्रमण में आसानी से जीत मिलने के आसार नहीं हैं,ऐसे में पुतिन अगले कई माह तक यूक्रेन में हमले जारी रख सकते हैं।
यूक्रेन की सांस्कृति राजधानी को लगता है कि वह युद्ध से ज्यादा दूर नहीं है।
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आज के अन्य घटनाक्रम
वाशिंगटन: रूस के तीन अंतरिक्ष यात्री शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर नीले और पीले रंग के अंतरिक्ष सूट पहनकर पहुंचे, जिसे कुछ लोगों ने उनके यूक्रेन के राष्ट्रीय ध्वज के रंगों वाले कपड़े पहनने और यूक्रेन के प्रति समर्थन जताने का संदेश माना। अंतरिक्षयात्री ने इन चर्चाओं पर विराम लगाते हुए शनिवार को कहा कि इन रंगों का यूक्रेनी झंडे से कोई लेना देना नहीं है।
अंतरिक्ष यात्री ओलेग आर्तेमेव ने कहा कि इस लॉन्च के छह माह पहले ही अंतरिक्षयात्रियों ने अपने अंतरिक्ष सूट के लिए पसंदीदा रंग चुन लिए थे, क्योंकि प्रत्येक यात्री के लिए सूट बनाए जाने थे। चूंकि सभी तीनों अंतरिक्ष यात्री ‘बौमान मॉस्को स्टेट टेक्निकल यूनिवर्सिटी’ से स्नातक हैं इसलिए उन्होंने अपने प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान के रंगों को चुना।
आर्तेमेव ने रूस की स्पेस एजेंसी के ‘टेलीग्राम’ चैनल पर एक बयान में कहा, ‘‘हमारी वर्दी में किसी प्रकार के छिपे हुए संदेश तलाशने की जरूरत नहीं है। रंग केवल रंग होता है। यह किसी भी प्रकार से यू्क्रेन से जुड़ा नहीं है...।’’
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वारसॉ: यूक्रेन से पलायन करने के बाद हजारों की संख्या में लोग पोलैंड की राजधानी वारसॉ में शनिवार को पोलिश पहचान पत्र (पेसेल) हासिल करने के लिए कतारों में लगकर इंतजार करते नजर आये। पहचान पत्र मिलने से इन लोगों को फिलहाल के लिए जीवनयापन शुरू करने में मदद मिलेगी।
शरणार्थियों ने शनिवार रात से वारसॉ के राष्ट्रीय स्टेडियम के बाहर कतारों में लगना प्रारंभ किया,ताकि उन्हें पहचान पत्र मिल सके। यह पहचान पत्र मिलने से इन लोगों को काम करने, रहने, स्कूल जाने, चिकित्सा सुविधा और अन्य सामाजिक लाभ अगले 18महीनों तक के लिए मिलने प्रारंभ हो जाएंगे। लंबे इंतजार के बाद सुबह लोगों को बाद में आने के लिए कहा गया।
एपी
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