Indo-Russia Relations: रूसी राजदूत निकोलाय कुदाशेव ने बुधवार को कहा कि रूस-भारत रणनीतिक साझेदारी के विस्तार के लिए कोई सीमा नहीं है. उनकी यह टिप्पणी दोनों देशों द्वारा वार्षिक शिखर सम्मेलन और पहली 'टू प्लस प्लस' मंत्रिस्तरीय बैठक की तैयारियां किए जाने के बीच आयी ह.उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि आगामी शिखर सम्मेलन के लिए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत की संभावित यात्रा के संबंध में दोंनों पक्षों के बीच चर्चा की जा रही है। उन्होंने मौजूदा कोरोना वायरस संकट का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘हालांकि, महामारी की स्थिति महत्वपूर्ण कारक होगी.
कोरोना वायरस संकट से मुकाबला करने में सहयोग का जिक्र करते हुए रूसी राजदूत ने कहा कि भारत में 'स्पूतनिक लाइट' टीका के जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है. पिछले साल भारत और रूस का सालाना शिखर सम्मेलन कोविड महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया था. दोनों देशों के मौजूदा तंत्र के तहत भारत के प्रधानमंत्री और रूसी राष्ट्रपति संबंधों के संपूर्ण पहलुओं की समीक्षा के लिए हर साल एक शिखर बैठक करते हैं. अब तक भारत और रूस की 20 ऐसी शिखर बैठकें हो चुकी हैं. यह भी पढ़े: Indo-US Relations: PM मोदी की रणनीति का असर, अमेरिका ने चीन को रोकने के लिए भारत से साझेदारी को बताया अहम
कुदाशेव ने विदेश मंत्री एस जयशंकर की 7-9 जुलाई की रूस यात्रा को "काफी सफल" बताया. उन्होंने परमाणु ऊर्जा, हाइड्रोकार्बन, रक्षा, अंतरिक्ष, व्यापार, वित्त, संपर्क, नवाचार तथा स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में दोनों देशों के बीच समन्वय के साथ ही अफगानिस्तान की स्थिति पर विचारों के समन्वय के बारे में भी चर्चा की. कुदाशेव ने कहा, "कुल मिलाकर, दोनों पक्षों ने एक बार फिर रूसी-भारतीय बहुआयामी रणनीतिक सहयोग को द्विपक्षीय और बहुपक्षीय रूप से कायम रखने के लिए पूरी तरह से साझा दृष्टिकोण पर जोर दिया.
रूसी राजदूत ने कहा कि जयशंकर की यात्रा रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की छह अप्रैल को भारत यात्रा के बाद का कदम थी। उन्होंने कहा कि यात्राओं से पता चलता है कि दोनों देश द्विपक्षीय उच्चस्तरीय संपर्कों की गतिशीलता को बनाए रखने की इच्छा को पूरा करने के लिए कितना ध्यान दे रहे हैं. इस साल के अंत तक आयोजित होने वाले प्रमुख आयोजनों को लेकर उन्होंने कहा कि इनमें व्यापार और अर्थव्यवस्था के साथ ही रक्षा पर अंतर-सरकारी आयोगों की बैठकें शामिल हैं.
कुदाशेव ने कहा, "पहली टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय बैठक और निश्चित रूप से शिखर सम्मेलन, यह विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी की एक नयी व बड़ी आधारशिला होगी, जो वास्तव में अनोखी है. उन्होंने सितंबर में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के साथ ही भारतीय अध्यक्षता में ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन का भी जिक्र किया. कुदाशेव ने कहा, "हम कोविड-19 से मुकाबला करने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का समर्थन करने में बहुत सफल रहे हैं। यह गर्व की बात है कि स्पूतनिक वी टीका भारतीय टीकाकरण अभियान का हिस्सा है और धीरे-धीरे यहां अपनी भागीदारी बढ़ा रहा है।" उन्होंने कहा कि भारत में 'स्पूतनिक लाइट' टीका के भी जल्द शुरू होने की उम्मीद है.
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में समन्वय को और बढ़ावा देने के लिए काफी ध्यान दिया गया. भारत अगस्त में इसकी अध्यक्षता करेगा. उन्होंने कहा, "हम मौजूदा रूसी अध्यक्षता में आर्कटिक परिषद में अपनी भागीदारी बढ़ाने की भारतीय इच्छा का स्वागत करते हैं. हम भारत द्वारा आयोजित होने वाले अगले ‘आरआईसी’ मंत्रिस्तरीय की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
अफगानिस्तान के संदर्भ में उन्होंने कहा कि भारत और रूस विभिन्न पक्षों की प्रतिबद्धताओं के आधार पर अंतर-अफगान वार्ता का समर्थन करते हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भविष्य की सरकार समावेशी हो। उन्होंने कहा, "अफगानों को अपने देश को स्वतंत्र, संप्रभु, एकजुट और लोकतांत्रिक बनाने में समर्थन देनेा महत्वपूर्ण है. पश्चिमी सैनिकों की तेजी से वापसी शुरू होने के बाद, क्षेत्रीय प्रयास और भी अहम होते जा रहे हैं.
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