विदेश की खबरें | यह स्वीकार करने का समय आ गया है कि चीन का आक्रामक रुख वार्ता से नहीं बदल सकता : अमेरिका

वाशिंगटन, 10 अक्टूबर अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) ने कहा कि भारत से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर ताकत के बल पर नियंत्रण करने की चीन की कोशिश उसकी विस्तारवादी आक्रामकता का हिस्सा है और यह स्वीकार करने का समय आ गया है कि बातचीत तथा समझौते से चीन अपना आक्रामक रुख नहीं बदलने वाला।

उल्लेखनीय है कि पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गत पांच महीनों से चीन और भारत के बीच गतिरोध बना हुआ है और इसकी वजह से दोनों देशों में तनाव बढ़ा है। दोनों पक्षों के बीच इस गतिरोध को सुलझाने के लिए उच्च स्तरीय राजनयिक और सैन्य वार्ताओं का दौर चल रहा है लेकिन अबतक इस समस्या का समाधान नहीं निकला है।

यह भी पढ़े | Coronavirus Cases in Italy: इटली में कोरोना के 5732 नए मामले दर्ज, कुल संक्रमितों का आकड़ा पहुंचा 343,770.

अमेरिकी एनएसए रॉबर्ट ओ ब्रायन ने इस हफ्ते के शुरुआत में उटाह में चीन पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘‘सीसीपी (चीन की कम्युनिस्ट पार्टी) का भारत के साथ लगती सीमा पर विस्तारवादी आक्रमकता स्पष्ट है जहां पर चीन ताकत के बल पर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर नियंत्रण करने की कोशिश कर रहा है।

ओ ब्रायन ने कहा कि चीन की विस्तारवादी आक्रामकता ताइवान जलडमरूमध्य में भी स्पष्ट है जहां धमकाने के लिए जनमुक्ति सेना की नौसेना और वायुसेना लगातार सैन्य अभ्यास कर रही है।

यह भी पढ़े | चीन ने भारत की उत्तरी सीमा पर 60, 000 सैनिकों को तैनात किया: अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो.

उन्होंने कहा, ‘‘ बीजिंग के खास अंतरराष्ट्रीय विकास कार्यक्रम ‘वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) में शामिल कंपनियां गैर पारदर्शी और अस्थिर चीनी ऋण का भुगतान चीनी कंपनियों को कर रही हैं जो चीनी मजदूरों को आधारभूत संरचना के विकास कार्यक्रम में रोजगार दे रही हैं।’’

एनएसए ने कहा कि कई परियोजनाएं गैर जरूरी हैं और गलत ढंग से बनायी गई और वे ‘सफेद हाथी’ हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘अब ये देश चीनी ऋण पर आश्रित हो गए हैं और अपनी संप्रभुता को कमजोर किया है। उनके पास कोई विकल्प नहीं है कि वे संयुक्त राष्ट्र में मतदान या किसी मुद्दे पर पार्टी के रुख का साथ दे जिसे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी अहम मानती है।’’

ओ ब्रायन ने रेखांकित किया कि चीन की अन्य अंतरराष्ट्रीय सहायता में वेनेजुएला के निकोलस मादुरो सहित दुनिया के ऐसे शासकों को निगरानी प्रणाली और दमन के उपकरण बेचना है जो लोगों के राजनीतिक और आर्थिक अधिकार सीमित करते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘समय आ गया है कि यह स्वीकार किया जाए कि बातचीत या समझौते साम्यवादी चीन को बदलाव के लिए सहमत या मजबूर नहीं कर सकते हैं। नजर बचाने या विनम्र होने से कोई लाभ नहीं होगा। हम यह लंबे समय से कर रहे हैं।’’

ओ ब्रायन ने कहा कि अमेरिका को चीन के खिलाफ खड़ा होना होगा और अमेरिकी लोगों की रक्षा करनी होगी।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें अमेरिकी समृद्धि और शांतिपूर्ण आचरण को ताकत के साथ बढ़ावा देना चाहिए और दुनिया पर अमेरिकी प्रभाव और बढ़ाना चाहिए।’’

एनएसए ने कहस कि ट्रम्प के नेतृत्व् में अमेरिका ने वास्तव में यही किया।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)