अधिकारियों ने बताया कि हड़ताल को लगभग सभी विपक्षी राजनीतिक दलों और सामाजिक समूहों का व्यापक समर्थन मिला। यह पूरी तरह से शांतिपूर्ण रहा और कहीं से किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली।
व्यापारियों द्वारा की गई हड़ताल से अदालतों में भी काम प्रभावित हुआ, जिसे जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के जम्मू चैप्टर ने भी समर्थन दिया।
हड़ताल के कारण दुकानें, दवाइयों की दुकानों समेत व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे, जिसके मुख्य बाजारों में पूरी तरह से सन्नाटा पसरा रहा। इस दौरान सार्वजनिक और निजी परिवहन की आवाजाही भी कम रही।
हड़ताल करने वाले व्यापारियों का कहना है कि नीतिगत निर्णय बंद कमरों में बिना परामर्श या व्यापारियों को विश्वास में लिए किये जाते हैं। साथ ही नयी आबकारी नीति से शराब की दुकानदारों की आजीविका बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
इसके अलावा नई भूविज्ञान और खनन नीति, बैंक्वेट हॉल पर प्रतिबंध ने भी व्यापारियों को हड़ताल करने पर मजबूर किया था।
वही रिलायंस रिटेल स्टोर श्रृंखला के प्रस्तावित उद्घाटन के बावजूद कंपनी ने मंगलवार शाम को स्पष्ट किया कि जम्मू में उसके 100 स्टोर खोले जाने की बात 'पूरी तरह से असत्य' है।
रिलायंस रिटेल के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हमने जम्मू में कोई स्टोर नहीं खोला है और 100 स्टोर खोले जाने की बात पूरी तरह से गलत है।’’
चैंबर हाउस के बाहर एक रैली का नेतृत्व करते हुए जेसीसीआई के अध्यक्ष अरुण गुप्ता ने हालांकि रिलायंस रिटेल के बयान को 'भ्रामक' बताते हुए कहा, ‘‘हम सभी एकजुट हैं और जम्मू क्षेत्र के लोगों के हितों की रक्षा के लिए अपना संघर्ष जारी रखेंगे।’’
उन्होंने कहा कि सरकार मूक-बधिर बन गई है और व्यापारियों के हितों की रक्षा की अपनी जिम्मेदारी को निभाने में बुरी तरह विफल रही है।
जतिन
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