देश की खबरें | कोटपूतली में 150 फुट गहरे बोरवेल में गिरी बच्ची को बाहर निकालने का अभियान सातवें दिन भी जारी

जयपुर, 30 दिसंबर राजस्थान के कोटपूतली जिले के संरूड थाना क्षेत्र में 23 दिसंबर को 150 फुट गहरे बोरवेल में गिरी तीन वर्षीय चेतना को बाहर निकालने के लिए अभियान सातवें दिन भी जारी है।

अधिकारियों के अनुसार बचाव दल समानांतर सुरंग खोदने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं।

कोटपूतली जिले के सरुंड थाना क्षेत्र के कितरपुरा इलाके में भूपेंद्र चौधरी के खेत में उनकी तीन साल की बच्ची चेतना 23 दिसंबर को दोपहर करीब तीन बजे बोरवेल में गिर गई थी। उसे सुरक्षित बाहर निकालने के प्रयास लगातार जारी हैं।

स्थानीय पुलिस और प्रशासन की मदद से राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्‍य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की टीमों द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे है। यह अभियान संभवत: राज्य में सबसे लंबे बचाव अभियानों में से एक है, जो 160 घंटे से अधिक समय से चल रहा है।

बोरवेल में गिरी बच्ची के परिजनों ने प्रशासन पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है, जबकि प्रशासन का दावा है कि यह सबसे कठिन अभियानों में से एक है।

कोटपूतली-बहरोड़ जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल ने सोमवार को बताया कि "यह चट्टान की तरह ठोस परत है। बारिश ने भी चुनौती पैदा की है। टीमें समानांतर सुरंग खोदने के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं। बच्ची तक पहुंचने के लिए लगभग 6.5 फुट की और खुदाई बाकी है।"

उन्होंने कहा कि यह राज्य का सबसे कठिन बचाव अभियान है।

एनडीआरएफ टीम के प्रभारी योगेश कुमार मीणा ने सोमवार को संवाददाताओं को बताया कि बचाव अभियान लगातार जारी है तथा चट्टान सख्त है और इसे काटना टीम के लिए चुनौती बन रहा है।

उन्होंने कहा कि ड्रिलिंग सही दिशा में चल रही है और आज देर शाम तक अभियान पूरा होने की उम्मीद है। चट्टान को काटने के लिए एक बार में तीन सदस्यीय टीम काम कर रही है।

वहीं परिजनों ने अभियान में देरी के लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है।

बोरवेल में गिरी बच्ची की मां धोली देवी ने शनिवार को कहा, "कई दिनों से मेरी बेटी बोरवेल में फंसी हुई है। वह भूख और प्यास से तड़प रही है। उसे अब तक बाहर नहीं निकाला गया है। अगर वह कलेक्टर की बच्ची होती तो क्या वह इतने दिनों तक उसे वहां रहने देतीं? कृपया मेरी बेटी को जल्द से जल्द बाहर निकालें।"

पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा भी रविवार को घटनास्थल पर पहुंचे और उन्होंने परिवार को बोरवेल खुला रखने के लिए और अभियान में देरी के लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया था।

गुढ़ा ने रविवार को संवाददाताओं से कहा, "बच्ची को बोरवेल से बाहर निकालने और उसे बचाने में सभी प्रयासरत हैं, लेकिन प्रशासन ने इसमें देरी की। यदि घटना के बाद युद्धस्तर पर अभियान चलाया जाता तो परिणाम बेहतर होते।’’

उन्होंने कहा जो तैयारियां पिछले तीन दिनों में की गई, उन्हें छह दिन पहले किया जाना चाहिए था। मुझे पता चला कि जिला कलेक्टर को मौके पर पहुंचने में तीन दिन लग गए। यह शर्म की बात है।"

बोरवेल में गिरी बच्ची को सुरक्षित निकालने के लिये शुरुआत में रिंग की मदद से बाहर निकालने का प्रयास किया गया, लेकिन सभी प्रयास विफल रहे। दो दिनों तक लगातार प्रयास के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला तो बुधवार को समानांतर गड्ढा खोदकर सुरंग के जरिये बच्ची तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है।

बीते जा रहे हर पल के साथ बच्ची के स्वस्थ रहने की उम्मीद कम होती जा रही है, क्योंकि बचाव दल चेतना को भोजन, पानी व ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं करा पा रहा है।

दो सप्ताह पहले दौसा जिले में पांच वर्षीय बालक बोरवेल में गिर गया था और बचाव अभियान 55 घंटे से अधिक समय तक चला था। हालांकि, जब बालक को बाहर निकाला गया, तब तक वह जीवन की जंग हार चुका था।

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